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पहली बार चीन में कैसे फैला कोरोना? WHO की जांच से पहले खुलासा

aajtak.in
  • 05 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 12:08 PM IST
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कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन पर पहले से कई आरोप लग रहे हैं, वहीं अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन में 7 साल पहले एक ऐसे वायरस स्ट्रेन का पता चला था जिसे मौजूदा कोरोना वायरस का सबसे करीबी समझा जाता है. thetimes.co.uk की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 2013 में मिले इस वायरस की जानकारी छिपाकर रखी थी.

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द सन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, चमगादड़ और चूहे की मौजूदगी वाली एक खदान से चीन को 2013 में कोरोना वायरस से जुड़ा वायरस स्ट्रेन मिला था. इस वायरस स्ट्रेन को चीन ने सालों तक वुहान के विवादित लैब में रखा.

कुछ ही दिन पहले WHO ने ऐलान किया कि उसकी टीम चीन में वायरस की उत्पत्ति का पता लगाएगी. वहीं, अब सात साल पहले मिले वायरस स्ट्रेन की जानकारी को कोरोना की उत्पत्ति के संबंध में महत्वपूर्ण समझा जा रहा है.

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असल में 2012 में खदान में काम कर रहे 6 लोग बुखार, कफ और न्यूमोनिया से पीड़ित हो गए थे. इनमें से तीन की हालत गंभीर थी.  रिपोर्ट के मुताबिक, बीमार पड़ने वाले लोगों में से 4 के शरीर में कोरोना वायरस एंटीबॉडीज मिले थे. लेकिन जांच से पहले ही 2 की मौत हो गई थी.

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चीन में बैट वुमन कही जाने वालीं डॉ. शी झेंगली ने फरवरी में कोरोना पर एक अकेडमिक पेपर तैयार किया. Nature जर्नल में प्रकाशित पेपर के मुताबिक, वुहान स्थित लैब में चीन ने चमगादड़ों से मिला RaTG13 वायरस रखा था जो कोरोना वायरस से 96.2 फीसदी मिलता है. लेकिन शी झेंगली के एक सहयोगी का कहना है कि RaTG13 वही सैंपल है जो 2013 में खदान में मिला था और इससे जुड़ी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई.

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इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल में कहा था कि उन्हें सबूत देखने के बाद काफी अधिक भरोसा हुआ है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से आया. हालांकि, चीन लैब से वायरस लीक होने की थ्योरी को खारिज करता आया है.

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