नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इसकी आग राजधानी दिल्ली के बाद अब लखनऊ और हैदराबाद भी पहुंच गई है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नदवा कॉलेज में सोमवार सुबह छात्रों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान छात्रों ने पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की, पुलिस लगातार गेट बंद करने की कोशिश करती रही. नदवा कॉलेज लखनऊ के हसनगंज थाना क्षेत्र में आता है.
हैदराबाद की मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में छात्र नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही छात्र जामिया छात्रों के भी समर्थन में खड़े हैं.
CAA के खिलाफ दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भी हजारों लोग इकट्ठा हुए और कानून का विरोध किया. प्रदर्शनकारी इस कानून को देश तोड़ने वाला और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बता रहे हैं.
असम के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ के कुछ हिस्सों में इस कानून के विरोध में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ जिसके बाद वहां कर्फ्यू लगा दिया और इंटरनेट को भी बंद कर दिया गया. सीएए 2019 के खिलाफ कई दिनों के हिंसक प्रदर्शन के बाद कर्फ्यू में ढील दी गई. दिसपुर, उजन बाजार, चांदमारी, सिल्पुखुरी और जू रोड में विरोध का व्यापक असर दिखा.
पूर्वोत्तर में इसका विरोध इसलिए हो रहा है कि अधिकांश लोगों को आशंका है इसके लागू होने पर उनके इलाके में बाहरियों की तादाद बढ़ जाएगी जिससे उनकी जनसांख्यिकी और भाषाई विशिष्टता बरकरार नहीं रह जाएगी.
भारत के अन्य क्षेत्रों मसलन, केरल, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में सीएए का विरोध इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किए जाने को लेकर हो रहा है. उनका मानना है कि यह संविधान के विरुद्ध है.
देश के विभिन्न हिस्सों में इसको लेकर हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन हुए हैं. बीते कुछ दिनों से हो रहे विरोध प्रदर्शन में असम और पश्चिम बंगाल में रेलवे स्टेशनों को जलाने की घटनाएं सामने आई हैं.
विरोध प्रदर्शन ने तब तूल पकड़ा जब दिल्ली में रविवार को जामिया के छात्रों का प्रदर्शन हिंसक हो उठा और यूनिवर्सिटी में तोड़फोड़ के अलावा प्रदर्शनकारियों ने सरकारी बसों में भी आग लगा दी. आग बुझाने के लिए दमकल की 4 गाड़ियां मौके पर पहुंची थीं. बसों में लगी आग बुझाने के दौरान ही प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों पर हमला कर दिया.
मामला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उठा. चीफ जस्टिस ने इस मामले में सख्ती बरती और कहा कि छात्र होना आपको इस प्रकार हिंसा का अधिकार नहीं देता है