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कोरोना संकट में भी इस देश को 'कड़ी सजा' दे रहा है चीन

aajtak.in
  • 19 मई 2020,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST
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चीन एक तरफ कोरोना वायरस से लड़ाई में दुनिया को मदद की पेशकश कर रहा है, दूसरी ओर कोरोना फैलने को लेकर सवाल और जांच की मांग करने वाले देश को 'कड़ी सजा' दे रहा है. असल में चीन ने सोमवार को फैसला किया कि वह ऑस्ट्रेलिया से निर्यात किए जाने वाले जौ पर 80.5 फीसदी अतिरिक्त चार्ज करेगा. आइए जानते हैं चीन का ये फैसला ऑस्ट्रेलिया के लिए कितना बुरा है-

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डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, असल में ऑस्ट्रेलिया हर साल 600 मिलियन डॉलर (करीब 4540 करोड़ रुपये) का जौ बेचता है. इसमें से 66 फीसदी जौ चीन को बेचा जाता है. चीन में अच्छी बिक्री होने की वजह से ऑस्ट्रेलिया के किसान जौ की काफी अधिक पैदावार करते हैं.

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चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर रहा है. लेकिन चीन के अचानक 80 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले से ऑस्ट्रेलिया को झटका लगा है. ऑस्ट्रेलिया के किसान पहले से सूखे का सामना कर रहे हैं और उन्हें अब काफी दिक्कत हो सकती है. चीन ने कहा है कि 19 मई से वह 80 फीसदी टैरिफ चार्ज करेगा. कुछ हफ्ते पहले से वह ऐसा करने की धमकी दे रहा था.

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क्यों ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फैसला ले रहा चीन-
ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच का रिश्ता कोरोना वायरस की वजह से खराब हुआ. ऑस्ट्रेलिया ने चीन से कोरोना फैलने को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग की थी. चीन ने इसका कड़ा विरोध जताया था.

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ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री सिमन बर्मिंघम ने माना है कि चीन ने जौ की खरीद पर 80 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया. यानी ऑस्ट्रेलिया को समय रहते इसके बारे में जानकारी नहीं दी गई. बर्मिंघम ने इसे बेहद निराशाजनक फैसला बताया.

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वहीं, चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर फ्रस्ट्रेट करने और बुरा व्यवहार करने का आरोप लगाया है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि ऑस्ट्रेलिया चीन का 'इस्तेमाल' करके खुद को पीड़ित के रूप में दिखाने की कोशिश कर रहा है.

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बता दें कि सोमवार को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक सम्मेलन में चीन ने कोरोना से लड़ाई में दुनिया की मदद की बात कही थी. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि चीन की ओर से तैयार की जाने वाली कोरोना वैक्सीन पूरी दुनिया के लोगों के लिए उपलब्ध होगी. साथ ही उन्होंने कहा था कि चीन कोरोना से लड़ाई में दुनिया के कई देशों को कुल 2 बिलियन डॉलर की सहायता देगा.

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