यूक्रेन के ओडेसा शहर में पढ़ रहे करीब 500 भारतीय छात्र इस समय खतरनाक वैश्विक कोरोना वायरस महामारी के कारण बहुत चिंतित हैं. कई अन्य चीजों के साथ-साथ इनके विश्वविद्यालय और कॉलेज भी 12 तारीख के बाद से बंद हो गए और ये सभी अपने-अपने हॉस्टल के अंदर फंस गए हैं. बताया जा रहा है किपूरे यूक्रेन में 10 से 15 हजार छात्र फंसे हुए हैं.
यूक्रेन में फंसे जब एक छात्र मनीष उर्फ मनीष द्विवेदी से व्हाट्सएप कॉल से बात की तो उसने वहां के खतरनाक हो रहे हालातों के बारे में बताया. मनीष ने कहा, "किराने की दुकान और मेडिकल स्टोर के अलावा बाहर जाने की हमें अनुमति नहीं है. हम सभी यूक्रेन में वर्तमान स्थिति के कारण अपने बारे में बहुत चिंतित हैं. हमें कह दिया गया है कि 5 अप्रैल तक हॉस्टल में खाना मिलेगा, उसके बाद सब बंद."
मनीष ने चिंतित होते हुए कहा, "मंगलवार के आंकड़ों के अनुसार यूक्रेन में कोरोना के 549 पॉजिटिव मामले और अब तक 13 मौतें हुई हैं. निश्चित रूप से यूक्रेनी सरकार सबसे पहले अपने नागरिकों पर ज्यादा ध्यान देगी, हम पर नहीं. भारत की तुलना में, यूक्रेन में चिकित्सा आपूर्ति और डॉक्टरों की संख्या बहुत कम है और हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या भाषा बाधा है क्योंकि हम रूसी या यूक्रेनी भाषा में धाराप्रवाह नहीं हैं."
मनीष ने अपने शहर के हालातों के बारे में बात करते हुए कहा, "हम यूक्रेन के ओडेसा शहर में फंसे हुए हैं जो यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां अभी वैसा लॉकडाउन नहीं है, जैसा भारत में है. इसलिए यहां खतरा भी ज्यादा है. यहां कोई सामान लेने जाते हैं तो ऐसा लगता है कि कहीं कोरोना वायरस से संक्रमित न हो. यदि हमें कुछ हो गया तो यहां इलाज की व्यवस्था भी नहीं है."
मनीष ने बताया कि कुछ दिनों पहले हमने यूक्रेन में राजधानी शहर कीव में भारतीय दूतावास से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन हमारी समस्या का उचित जवाब और समाधान नहीं मिला. हम चिंतित हैं कि अगर हममें से किसी के साथ कुछ होता है तो ऐसी दयनीय स्थिति में हमारे साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा? यूक्रेन की सरकार अपने देश के लोगों को विदेशों से ला रही है और यूक्रेन में बाहर के देशों के छात्र वापस भी चले गए हैं सिर्फ भारत और नेपाल के छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं.
मनीष ने गुहार लगाते हुए कहा कि हम सभी भारतीय छात्र विनम्रतापूर्वक भारत के पीएमओ कार्यालय, विदेश मंत्रालय, भारतीय दूतावास कीव, यूक्रेन और अन्य संबंधित अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि कृपया हमें जल्द से जल्द यहां से निकालने और भारत में अपने घरों में वापस लाने का प्रयास करें. हमारे माता-पिता भी बहुत चिंतित हैं.