अमेरिका में महामारी रोगों के मामले में सबसे भरोसेमंद समझे जाने वाले विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउसी ने कोरोना की कम मृत्यु दर वाली थ्योरी पर सवाल खड़े किए हैं. बता दें कि एंथनी फाउसी अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिजीज के डायेक्टर हैं और अमेरिकी सरकार के कोरोना टास्क फोर्स के भी अहम सदस्य हैं. उन्होंने कहा है कि कोरोना की कम मृत्यु दर की बात करके सहज महसूस करने की कहानी गलत है. अस्पताल में जवान लोग भी आईसीयू में भर्ती हैं.
एंथनी फाउसी ने कहा कि कोरोना के मामलों में कम मृत्यु दर का आंकड़ा बीमारी के खतरनाक होने को लेकर सही तस्वीर पेश नहीं करता. मंगलवार को एक इवेंट में हिस्सा लेते हुए उन्होंने ये बात कही. अमेरिका के प्रमुख संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. फाउसी ने कहा कि इस वायरस को लेकर कई चीजें हैं जो खतरनाक हैं. इसलिए आंकड़ों के आधार पर फर्जी खुशी की स्थित में मत पड़िए.
इससे पहले डॉ. फाउसी ने ये भी कहा था कि अमेरिका कोरोना वायरस की पहली लहर में घुटने तक डूबा हुआ है. वहीं, ऐसा कई बार हुआ है कि अपनी बेबाकी की वजह से फाउसी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी सहमत नहीं दिखे हैं.
इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि मृत्यु दर के आंकड़ों की वजह से गवर्नर स्कूल खोलने को प्रेरित हो रहे हैं. ट्रंप ने यह भी कहा था कि कोरोना के मामले में दुनिया में सबसे कम मृत्यु दर अमेरिका में है.
फाउसी ने कहा कि मृत्यु दर कम है, इसके पीछे ये वजह हो सकती है कि अब अमेरिका में तुलनात्मक रूप से कम उम्र के लोग अधिक संक्रमित हो रहे हैं. शुरुआत में संक्रमित होने वाले लोगों की औसत उम्र अधिक थी.
फाउसी ने कहा कि आप जितने जवान हैं, आप बेहतर करते हैं. इसकी संभावना रहती है कि आप कोरोना से गंभीर तौर से बीमार नहीं पड़ेंगे और मौत नहीं होगी. लेकिन गारंटी के साथ नहीं कहा जा सकता कि युवा कोरोना से बच जाएंगे.
फाउसी ने कई उदाहरण दिए जब युवा कोरोना से गंभीर रूप से बीमार हो गए और उन्हें आईसीयू में भर्ती होना पड़ा. कुछ ही दिन पहले अमेरिका के 41 साल के एक मशहूर एक्टर निक कॉरडेरो की कोरोना से मौत हो गई थी.