कोरोना से बुरी तरह प्रभावित कई देशों में वेंटिलेटर की कमी पड़ रही है. इनमें इटली और अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल हैं. कम वेंटिलेटर और अधिक संख्या में गंभीर मरीजों की वजह से डॉक्टरों के लिए भी यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि किस मरीज को वेंटिलेटर पर रखें और किस को नहीं. लेकिन एक 90 साल की महिला ने खुद ही वेंटिलेटर पर रखे जाने से मना कर दिया. (इनसेट में सुजैन एच.)
90 साल की महिला सुजैन एच. बेल्जियम के बिन्कॉम में रहती थीं. कोरोना की वजह से हालत बिगड़ने पर उन्हें 20 मार्च को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. लेकिन उन्होंने वेंटिलेटर पर रखे जाने से इनकार कर दिया और डॉक्टरों को कहा कि इसे (वेंटिलेटर) नौजवानों के लिए रखो.
खुद ही वेंटिलेटर पर रखे जाने से मना करने वालीं सुजैन की बाद में मौत हो गई. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, सुजैन ने कथित तौर पर डॉक्टर्स से कहा था- 'मैं आर्टिफिशियल रेस्परेशन इस्तेमाल नहीं करना चाहती. इसे नौजवानों के लिए बचाओ. मैं अच्छी हूं.' हालांकि, भर्ती होने के 2 दिन बाद 22 मार्च को उनकी मौत हो गई.
असल में कोरोना के गंभीर मरीजों को जब सांस लेने में दिक्कत होती है तो उनके फेफड़ों में वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है. सुजैन की बेटी जुडिथ ने कहा- 'मैं उन्हें अलविदा भी नहीं कह सकती थी और मुझे उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल होने का मौका नहीं मिला.
बेल्जियम में अब तक 700 से अधिक लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो चुकी है. बता दें कि बेल्जियम की आबादी महज एक करोड़ 14 लाख है. लेकिन यहां 12 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं.