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दौलत बेग ओल्डी: चीन को क्यों चुभ रही सबसे ऊंची हवाई पट्टी

aajtak.in
  • 26 जून 2020,
  • अपडेटेड 8:01 PM IST
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भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बीच एक बड़ा मुद्दा देपसांग घाटी भी रहा है. देपसांग घाटी के पास ही स्थित है दुनिया का सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी (Daulat Beg Oldi). जिसे भारतीय वायुसेना ने बनाया है. देपसांग घाटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास स्थित है.

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चीन ने 1962 में लद्दाख के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था. इसे अक्साई चिन का नाम दिया गया. इसपर चीन का नियंत्रण है. अप्रैल 2013 में चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने देपसांग घाटी (Depsang Valley) पर अस्थाई कैंप बनाए थे.

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साल 2014 में चीन ने यह माना कि उसने देपसांग घाटी में अपने अस्थाई कैंप बनाए थे. ताकि इस क्षेत्र में अपना नियंत्रण जता सके. लेकिन कूटनीतिक बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाया गया और चीन की सेना वापस चली गई. (फोटोः रॉयटर्स)

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दौलत बेग ओल्डी (Daulat Beg Oldi) सुल्तान सैद खान के नाम पर रखा गया है. उन्हें लोग दौलत बेग कहते थे. दौलत बेग ओल्डी दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई अड्डा है. यह 16,614 फीट की ऊंचाई पर बना है. यहां पर भारतीय वायुसेना कई बार अपने फाइटर जेट्स और मालवाहक उतार चुकी है. (फोटोः रॉयटर्स)

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दौलत बेग ओल्डी का मतलब होता है वो जगह जहां महान और रईस लोग मरते हैं. 2013 में चीन द्वारा अस्थाई कैंप बनाने के बाद भारतीय सेना ने दौलत बेग ओल्डी को और मजबूत करने की ठानी. (फोटोः रॉयटर्स)

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दौलत बेग ओल्डी को 1962 में ही भारतीय वायुसेना ने अपना पोस्ट बना लिया था. तब से लेकर अब तक यहां पर वायुसेना के फाइटर जेट्स, मालवाहक विमान और हेलिकॉप्टर उड़ान भरते रहते हैं. (फोटोः गेटी)

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20 अगस्त 2013 में भारतीय वायुसेना ने इस हवाई पट्टी पर अपना सबसे बड़ा मालवाहक विमान सुपर हर्क्यूलस सी-130जे उतारकर एक नया रिकॉर्ड बनाया. इस जगह से 30 किलोमीटर दूर ही चीन की सेना ने अस्थाई कैंप बनाए थे. (फोटोः गेटी)

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अगर युद्ध की स्थिति बनती है तो दौलत बेग ओल्डी से चीन की सीमा में घुसकर हमला करना बेहद आसान है. यहां से भारत-चीन सीमा पर स्थित चीनी सेना पर बखूबी निगरानी रखी जा सकती है. (फोटोः गेटी)

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दौलत बेग ओल्डी पर बातचीत सिर्फ सैटेलाइट फोन से ही हो सकती है. यहां का तापमान सर्दियों में माइनस 55 डिग्री सेल्सियस चला जाता है. यहां पेड़-पौधे या जीव-जंतु बेहद कम हैं.

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इसी जगह पर भारत और चीन की सेना के अधिकारी बातचीत भी करते हैं. यह भारत-चीन सीमा पर बने पांच मीटिंग प्वाइंट्स में से एक है. ताकि दोनों सेनाओं के बीच किसी तरह का विवाद न हो और सीमाओं का उल्लंघन न किया जाए.

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अब एक बार फिर देपसांग घाटी में चीन की सेना ने फिर से भारी जमावड़ा कर दिया है. इस बात के सबूत भी मिले हैं. ये खुलासा मैक्सार टेक्नोलॉजीस से ली गई सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ है. मैक्सार टेक्नोलॉजिस की ओर से ली गई 22 जून की सैटेलाइट तस्वीरों से साफ संकेत मिलता है कि असल में चीनी सेना गलवान मुहाने पर अपने दावे को और आगे बढ़ाने के लिए आई.

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चीन ने ऐसा इसलिए किया है ताकि वह भारतीय वायुसेना के दौलत बेग ओल्डी हवाई अड्डे पर नजर रख सके. तियानवेंदियन पोस्ट इस क्षेत्र की सबसे पुरानी पोस्ट है. 1962 के चीन-भारत युद्ध के बाद एक खगोलीय वेधशाला की आड़ में इसे स्थापित किया गया.

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