Advertisement

ट्रेंडिंग

ड्रैगन फ्रूट का नया नाम कमलम, सोशल मीडिया पर ऐसे मीम्स हुए वायरल

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 2:42 PM IST
  • 1/5

गुजरात सरकार ने पूरी दुनिया में  ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) के नाम से चर्चित फल का नाम बदलकर कमलम फ्रूट (Kamalam Fruit) कर दिया है. खास बात ये है कि ये फल देखने में बिल्कुल कमल फूल जैसा दिखता है. लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स को फल का नाम बदलना शायद पसंद नहीं आया. कमलम को लेकर फैसले के तुरंत बाद ट्विटर पर मीम्स की बाढ़ आ गई जिसे देखकर आपकी भी हंसी छूट सकती है.

  • 2/5

ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) का नाम बदलने को लेकर एक सोशल मीडिया यूजर्स ने बहुत पहले रिलीज हुई कॉमेडी फिल्म वेलकम का एक सीन शेयर किया है जिसमें नाना पाटेकर नजर आ रहे हैं. बता दें कि यह फल बेहद महंगा होता है. 75 रुपए प्रति पीस से कीमत शुरू होकर 300 रुपए प्रति पीस या उससे ज्यादा तक जाती है. हालांकि कुछ लोग इसे 400 रुपए किलोग्राम तक बेचते हैं. 

  • 3/5

वहीं ट्विटर पर एक सोशल मीडिया यूजर ने ड्रैगन की तस्वीर को शेयर करते हुए पूछा है कि आखिर आप अपने कमलम को कैसे प्रशिक्षित करते हैं. यहां यह जान लीजिए की  ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) मूल तौर पर मेकिस्को, ग्वाटेमाला, निकारागुआ, कोस्टारिका, अल-सल्वाडोर और दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी इलाकों का फल है. अब इसकी खेती भारत,ऑस्ट्रेलिया, चीन समेत कई देशों में होती है. ये फल ज्यादातर ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल देशों में उपजाया जाता है. 
 

Advertisement
  • 4/5

एक सोशल मीडिया यूजर्स ने आलू, टमाटर, और अदरक की तस्वीर को साझा करते हुए लिखा है कमल=ड्रैगन फ्लावर. बता दें कि ड्रैगन फ्रूट अमेरिका के स्वदेशी लोगों का पारंपरिक खाना है. उत्तर-पश्चिम मेकिस्को में रहने वाले सेरी समुदाय के लोग इस फल की खेती करते हैं वो भी इसकी कड़वी प्रजाति का उपयोग करते हैं. लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मीठी प्रजाति ही सबसे ज्यादा बिकती है.  

  • 5/5

वहीं एक शख्स ने ड्रैगन से बच्चों को गले मिलते हुए तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि आखिरकार आप अपने ड्रैगन को कैसे ट्रेंड करते हैं. अब अगर इस फल के खेती की बात करें तो एक हेक्टेयर खेत में 1100 से 1350 पौधे ही लगाए जाते हैं. पहली बार पूरी तरह से फल आने में करीब पांच साल लग जाते हैं, इसलिए इनकी कीमत ज्यादा हो जाती है. एक बार फल आने के बाद मौसम और पौधे की क्षमता के अनुसार फिर साल में दो या तीन बार इसकी फसल होती है. 

Advertisement

लेटेस्ट फोटो

Advertisement