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सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान पेट में छोड़ दी कॉटन, दर्द होने पर हुआ खुलासा

नीरज वशिष्ठ
  • गुरुग्राम ,
  • 04 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:56 PM IST
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गुरुग्राम की साइबर सिटी में निजी हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान एक महिला के पेट में कॉटन छोड़े जाने का मामला सामने आया है. डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक मां की जान पर बन गई है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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इतना ही नहीं, पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने अपनी गलती छिपाने के लिए उनकी सहमति के बिना दोबारा से ऑपरेशन कर दिया जिसके बाद से पीड़िता को होश नहीं आया है. पीड़ित के पति ने एनजीओ की मदद से पूरे मामले की शिकायत सेक्टर 5 थाना पुलिस को दी है. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

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मूल रूप से नॉर्थ-ईस्ट की रहने वाली 24 वर्षीय महिला को डिलीवरी के लिए सेक्टर 5 स्थ‍ित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में दाखिल करवाया गया था. डिलीवरी के समय हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया कि केस कॉम्प्लिकेटेड है. इसलिए सिजेरियन ऑपरेशन करना पड़ेगा.

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आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने लापरवाही बरतते हुए पेट में कॉटन छोड़ दी. डिलीवरी के कुछ समय बाद महिला को पेट दर्द की समस्या हो गई. 
 

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जब हॉस्पिटल के डॉक्टरों से सम्पर्क किया तो उन्होंने महिला को कुछ टेबलेट दी लेकिन जब आराम नहीं हुआ तो महिला के पति ने दूसरे डॉक्टर से एडवाइस ली. महिला का अल्ट्रासाउंड करवाया तो मालूम चला कि महिला के पेट में कॉटन है जिसकी वजह से पेट मे दर्द रहता है और ऑपरेशन वाली जगह लाल हो गई है.

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इस पर महिला के पति ने डॉक्टरों से सम्पर्क किया. पहले तो डॉक्टर मानने को तैयार ही नहीं हुए क‍ि उनसे लापरवाही हुई है. जब उन्हें अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट दिखाई गई तो आनन-फानन में पीड़िता को हॉस्पिटल में दोबारा से दाखिल कर लिया और परिजनों की बिना सहमति के ऑपरेशन कर कॉटन को निकाल दिया.
 

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आरोप है कि दोबारा ऑपरेशन किए जाने के बाद से महिला को होश नहीं आया है. इस पर पीड़िता के पति ने एनजीओ से मदद की गुहार लगाई. नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के लिए कार्य कर रही एनजीओ के सदस्य गुरुग्राम पहुंचे ओर पूरे मामले की शिकायत पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को दी. (प्रतीकात्मक फोटो)

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साइबर सिटी में प्राइवेट हॉस्पिटल के डाक्टरों पर लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी निजी हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर गम्भीर आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस मामले में पीड़िता को न्याय कब तक मिल पाता है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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