पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी हरकतों के चलते चर्चा में रहते हैं. एक बाद फिर वे सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के चलते ट्रोल हो रहे हैं. इमरान खान ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अमिताभ बच्चन की 37 साल पुरानी फिल्म इंकलाब की एक क्लिप का हवाला देकर अपनी भड़ास निकाली, लेकिन इसके बाद उन्होंने यह पोस्ट डिलीट भी कर ली.
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दरअसल, इस फिल्म के एक क्लिप के साथ इमरान खान ने कैप्शन लिखा कि इसी तरह पीटीआई सरकार के खिलाफ पहले दिन से भ्रष्ट माफिया की ओर से साजिश की जा रही है. इमरान पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के मुखिया भी हैं.
(Deleted Post of Imran khan IG: Viral)
इंकलाब 1984 में रिलीज हुई थी. राजनीतिक पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, श्रीदेवी, प्राण और कादर खान ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं. इंकलाब फिल्म के इस क्लिप में दिखाया गया था कि एक विपक्षी पार्टी के सदस्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश रचते हैं.
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जिस शॉट का इमरान ने इस्तेमाल किया उसमें कादर खान को अपनी पार्टी के नेताओं से ये कहते देखा जा सकता है कि गीता और रामायण में ये कहीं नहीं लिखा है कि जो पार्टी वर्षों से सत्ता में है, वही आगे भी बनी रहेगी. हमें भी पूरा अधिकार है सरकार बनाने का, और हम ऐसा करके रहेंगे चाहे कैसे भी.
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इंस्टाग्राम पर इमरान की पोस्ट आने के कुछ ही देर बाद पाकिस्तान के पत्रकार हसन जैदी ने इमरान को टैग करते हुए कहा कि ये क्लिप पाइरेटेड प्रिंट से लिया गया है. सोशल मीडिया पर फिर इमरान खान की पोस्ट को लेकर चुटकियां ली जाने लगीं. हालांकि बाद में इमरान खान ने इंस्टाग्राम से वो पोस्ट हटा ली. लेकिन उस पोस्ट का स्क्रीन शॉट वायरल हो रहा है.
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इमरान खान को पाकिस्तान की सत्ता संभाले तीन साल हो गए हैं. इस दौरान उन्हें कई बार सोशल मीडिया पर हंसी का पात्र बनना पड़ा. पिछले साल उन्होंने जर्मनी को जापान का पड़ोसी देश बता दिया था. इसी तरह उन्होंने नवाज शरीफ के बारे में कहा था कि वो 1988 में पाकिस्तान के पहली बार प्रधानमंत्री बने. जबकि हकीकत ये है कि नवाज शरीफ पहली बार 1990 में प्रधानमंत्री बने थे.
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इमरान खान इन दिनों कट्टरपंथियों के कितने दबाव में हैं इसका सबूत है कि तहरीक-ए-लब्बैक के नेता साद रिजवी को कोट लखपत जेल से रिहा कर दिया गया है. साथ ही तहरीक-ए-लब्बैक के हिंसक प्रदर्शनों के बीच इमरान सरकार ने फ्रांसीसी राजदूत को देश निकाला देने के लिए प्रस्ताव लाने का भी ऐलान किया.
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बता दें कि तहरीक-ए-लब्बैक के नेता साद रिजवी को कोट लखपत जेल से रिहा करने का फैसला इमरान खान की सरकार के लिए इसे शर्मनाक फैसला कहा जा रहा है क्योंकि रिजवी की गिरफ्तारी के खिलाफ पुलिस बल भी सामने आने लगे थे. इमरान खान को मजबूरी में रिजवी को रिहा करना पड़ा.
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बताया जा रहा है कि ऐसा भी हो सकता है कि आने वाले दिनों में रिजवी की अन्य मांगों को भी इमरान खान मानने के लिए मजबूर होंगे. क्योंकि तहरीक-ए-लब्बैक द्वारा जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच इमरान खान की सरकार ने यह कदम उठा लिया था.
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यह सब तब हुआ था जब फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दोबारा प्रकाशित किए जाने के बाद से ही तहरीक-ए-लब्बैक ने पाकिस्तान में विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए थे. जब इमरान खान की सरकार ने लब्बैक के नेता साद रिजवी को गिरफ्तार कर लिया तो प्रदर्शनों में हिंसा भड़क उठी थी.
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इसके बाद इमरान खान को यह मानना पड़ा कि पाकिस्तान में यह एक बड़ा दुर्भाग्य है. राजनीतिक दल और धार्मिक दल इस्लाम का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं और इसका इस्तेमाल ऐसे करते हैं कि वे अपने ही देश को नुकसान पहुंचाते हैं.
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