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गलवान झड़प का एक साल, नहीं बदली चीन की नीयत तो भारत ने बढ़ा ली ताकत

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2021,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST
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गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई झड़प को एक साल बीत चुके हैं. बीते साल 15 जून को लद्दाख की बर्फीली गलवान नदी के किनारे दोनों देशों के बीच सैन्य झड़प हुई थी. जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के करीब 45 सैनिकों को जान से हाथ धोना पड़ा था.

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एक साल बाद भी चीन बॉर्डर पर तैनात है और युद्धाभ्यास में जुटा हुआ है. वहीं भारतीय सेना ने भी एलएसी पर खुद को पहले के मुकाबले बेहद मजबूत कर लिया है. एक साल पहले गलवान में चीन की साजिश की धज्जियां उड़ाने वाले इन रणबांकुरों के कारनामों को चीनी सैनिक अब तक नहीं भूल पाए हैं.

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हिंदुस्तान के बदले हुए तेवर की तस्दीक करती तस्वीरों ने चीन के हौसले पस्त कर दिए थे. पैरा कमांडोज के शौर्य और दमखम को देख पीएलए के सैनिक अचंभित हो गए. लद्दाख में भारत की हुंकार का असर ऐसा हुआ था कि चीन बातचीत की टेबल पर आ गया था. 15 जून को हुई गलवान झड़प को एक साल बीत चुका है. दोनों मुल्कों के बीच कमांडर लेवल की कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन तनाव अब भी पूरी तरह कम नहीं हुआ है. चीन की फितरत में अब भी पूरी तरह बदलाव नहीं आया और अब भी चीन साजिशें करने से बाज नहीं आ रहा.

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भारत और चीन के बीच कोर कमांडर लेवल पर 11 दौर की सैन्य बातचीत के बाद भी पैंगोंग में कोई सफलता नहीं मिली है. यही वजह है कि किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए भारत ने सीमा पर खुद को मजबूत कर लिया है. भारतीय सेना के 50 हजार जवान लद्दाख में पिछले एक साल से तैनात हैं. एक साल बाद हिंदुस्तान ने अपनी ताकत में जबरदस्त इजाफा कर लिया है. एक साल बाद भी पूर्वी लद्दाख के कुछ प्वाइंट्स पर स्थिति जस-की-तस बनी हुई है. भारतीय सेना और वायुसेना ने अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लिया है और चीन की किसी भी नापाक हरकत से निपटने के लिए पूरी तरह से बॉर्डर पर मुस्तैद है. 

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भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में अपनी उपस्थिति मजबूत कर ली है, वहीं राफेल लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े में शामिल करके भारतीय वायु सेना पहले से अधिक ताकतवर हो गई है. बॉर्डर पर पिछले कई सालों से इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का काम चल रहा था, लेकिन बीते एक साल में इसमें और तेजी आई है. बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन सड़क को सुगम बनाने के लिए दिन-रात काम में जुटा हुआ है.
 

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दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क उमलिंग ला, मार्समिक ला या खारदुंग ला समेत सभी क्षेत्रों में सभी फॉरवर्ड जगहों के लिए आवाजाही दुरुस्त कर ली गई है. पूरे साल सेना की आवाजाही के लिए खुला रखा गया है. अब चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना और साजो सामान कुछ ही घंटों के भीतर सीमा पर तैनात हो सकेगा.

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राफेल फाइटर जेट दुनिया के सबसे ताकतवर फाइटर जेट्स में से एक है. फ्रांस से भारत को मिलने के बाद वायुसेना की ताकत पहले की तुलना में कहीं अधिक बढ़ गई है. आने वाले समय में कई और राफेल विमान भारत आने वाले हैं, जिनका इस्तेमाल बॉर्डर पर होने वाली किसी भी नापाक हरकत से निपटने में किया जा सकता है.

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दुश्मन देशों को मात देने के लिए राफेल फाइटर जेट्स की भूमिका बेहद अहम होगी. राफेल के साथ-साथ मिग-29 और सुखोई-30 उत्तरी सीमाओं पर आसमान में हावी रहे हैं. इसका दूसरा स्क्वॉड्रन इस महीने के अंत तक संचालन के लिए तैयार हो जाएगा.

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सेना ने अब चीन सीमा से निपटने के लिए एक अतिरिक्त स्ट्राइक कोर को तैनात किया है. सेना सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मथुरा स्थित वन स्ट्राइक कोर को लद्दाख में उत्तरी सीमाओं की ओर फिर से तैनात किया गया है और 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को पूरे पूर्वोत्तर राज्यों का प्रभार दिया गया है. साथ ही एक अतिरिक्त डिवीजन भी दी गई है, जिसमें दस हजार से अधिक जवान शामिल हैं.''

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लद्दाख में माइनस 40 डिग्री तापमान में तैनात देश के जवान कठिन मुश्किलों का सामना करते हुए अब भी तैनात हैं...भारतीय सेना पिछले एक साल से लद्दाख में 50,000 सैनिकों के साथ तैनात है. इस तैनाती में ज़रा भी बदलाव नहीं आया है...जानकारी के मुताबिक सेना ने लद्दाख में 50,000-60,000 सैनिकों की मौजूदा तैनाती को अधिक समय तक बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचा विकसित किया गया है.

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भारतीय सैनिक सिर्फ जमीन पर ही मौजूद नहीं हैं बल्कि चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए रणनीति में बदलाव और निगरानी को बढ़ाया गया है. इसमें पैंगोंग झील में तैनात की जाने वाली कई नावें भी शामिल हैं. सेना के इंजीनियरों ने पिछले 11 महीनों के भीतर ही उन सुविधाओं को बना लिया, जिसकी प्लानिंग अगले पांच सालों में बनाने की थी. हिंदुस्तान के सशस्त्र बलों की तैयारी अब उस स्तर की है, जहां चीनी या कोई और विरोधी हमें किसी भी तरह से आश्चर्यचकित नहीं कर सकता है.
 

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चीन की वायु सेना ने हाल ही में भारतीय सीमा के करीब एक बड़ा युद्ध अभ्यास किया. इस अभ्यास के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियां ना सिर्फ चौकन्नी हो गई हैं बल्कि एलएसी पर मुस्तैदी और भी बढ़ा दी है.

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