भारत के खिलाफ अब चीन के मीडिया संस्थान प्रोपेगैंडा चलाने लगे हैं. चीन के सरकार के इशारों पर खबरें लिखने वाले ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि इस समय भारत का चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ सीमा विवाद चल रहा है. अगर ऐसे में विवाद बढ़ा तो भारत को दो या तीन सीमाओं पर सैन्य दबाव का सामना करना पड़ सकता है. (फोटोः एपी)
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत की सीमा पर चीन के साथ विवाद को लेकर अमेरिका की साजिश है. भारत को लद्दाख के गलवान वैली में हुई सैन्य घटना की जांच करनी चाहिए. ताकि यह पता चले कि इस घटना के पीछे कौन जिम्मेदार है. जिन्होंने गलत किया है भारत उन्हें जिम्मेदार ठहराए. साथ ही उकसाने वाली हरकतें बंद करे. (फोटोः एपी)
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि चीन का आरोप है कि भारतीय सेना ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (Line of Actual Control) को पार कर चीन के उन सैनिकों से संघर्ष किया था, जो सीमा पर बातचीत के लिए गए थे. ये बातें चीन की विदेश मंत्रालय ने कही हैं. (फोटोः एपी)
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि भारतीय सेना लगातार द्विपक्षीय समझौतों का उल्लघंन करती है. साथ ही सीमा को लेकर हुए विवाद पर अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ती है. भारत को ये बात पुख्ता करनी चाहिए कि आगे से ऐसी घटना न हो. भारत चीन को कमजोर न समझे. (फोटोः गेटी)
इसके बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत सीमा पर हुई घटना की निंदा करता है. उसे बातचीत से शांत करने की कोशिश करता है. (फोटोः गेटी)
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि एक्सपर्ट मानते हैं कि इस समय भारत का चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ सीमा विवाद है. अगर भारत तनाव बढ़ाता है, तो वह दो या तीन मोर्चों से सैन्य दबाव का सामना कर सकता है, इसलिए स्थिति आगे बढ़ने की संभावना नहीं है. (फोटोः गेटी)
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव को लेकर ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारत की सीमा पर इस विवाद के पीछे अमेरिका का हाथ है. ग्लोबल टाइम्स ने इसके पीछे अमेरिका के उस बयान का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि अमेरिका पूरे मामले पर नजर बनाए रखे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
इसके साथ ही ग्लोबल टाइम्स की ओर से लगातार कई प्रोपेगेंडा वीडियो शेयर किए जा रहे हैं, जिसमें चीनी सेना अभ्यास करती दिख रही है. ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि पीएलए 81 सेना समूह की एक टुकड़ी ने संयुक्त अभ्यास शुरू किया है. इस अभ्यास का उद्देश्य नए उपकरणों का परीक्षण करना और प्रत्येक टीम के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है. (फोटोः रॉयटर्स)
हालांकि चीन की हालत इतनी खराब है कि उसने अभी तक अपने मरने वाले सैनिकों का आंकड़ा तक जारी नहीं किया है. क्योंकि वो नहीं चाहता कि दुनिया के सामने उसकी फजीहत हो और ये पता चले कि चीन को ये झड़प काफी महंगी पड़ी. (फोटोः रॉयटर्स)