चीन और पाकिस्तान से सीमा पर मौजूदा तनाव को देखते हुए भारतीय वायु सेना लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रही है ताकि किसी भी परिस्थिति में दुश्मन को सबक सिखाया जा सके. इसी क्रम में राफेल फाइटेर जेट के बाद अब इंडियन एयरफोर्स 114 और लड़ाकू विमान को खरीदने की योजना पर काम कर रही है. आगामी एयरो इंडिया के दौरान 83 एलसीए तेजस मार्क 1 ए विमान के सौदे पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ, भारतीय वायु सेना अब मल्टीरोल लड़ाकू विमान परियोजना पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है.
इस परियोजना के तहत वायु सेना 114 लड़ाकू विमानों को खरीदने की योजना बना रही है जिसकी अनुमानित कीमत 1.3 लाख करोड़ रुपये है. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक वायु सेना लंबे समय से इस लड़ाकू विमान परियोजना पर कार्य कर रही थी और अब 83 एलसीए तेजस मार्क 1 ए के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ने मंजूरी दे दी है. इसको लेकर बेंगलुरु में 50,000 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए जाने की तैयारी है.
ये नए 83 LCA तेजस फाइटर जेट वायुसेना में मौजूदा लड़ाकू विमान मिग -21 के चार स्क्वाड्रन की जगह लेंगे. वायुसेना निकट भविष्य में चरणबद्ध तरीके से मिग 21 को ऑपरेशन से बाहर करने की योजना पर काम कर रही है. सरकार के सूत्रों के मुताबिक यही वजह है कि अब 114 नए फाइटर जेट्स प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
भारतीय वायुसेना ने निविदा के लिए EOI (रुचि पत्र) पहले ही जारी कर दिया है और जल्द ही इस अरबों डॉलर की परियोजना के लिए रक्षा मंत्रालय के समक्ष मंजूरी (NON) की आवश्यकता का प्रस्ताव देगी. इस सौदे में 4.5 से अधिक जेनरेशन के विमानों को खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. बता दें कि वायुसेना को मजूबत करने के लिए भारत सरकार ने साल 2017 में करीब 59 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल विमानों का सौदा फ्रांस से किया था. 11 राफेल फाइटरजेट फ्रांस भारत को दे चुका है और 2023 तक इस सौदे के पूरे हो जाने की उम्मीद है.
भारतीय वायुसेना के नए फाइटर जेट खरीदने के रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन (RFI) का जवाब कई वैश्विक फाइटर जेट निर्माण के बड़े खिलाड़ियों ने दिया है. इसमें अमेरिका, फ्रांस, रूस और स्वीडन की कंपनियां शामिल हैं. अमेरिकी कंपनी एयरो इंडिया शो में एफ -15 स्ट्राइक ईगल, एफ -18 सुपर हॉर्नेट और एफ -16 वेरिएंट को एफ -21 के नाम से पेश कर रही है, वहीं रूसी कंपनी के मिग -35 और सुखोई फाइटर की पेशकश करने की संभावना है.
स्वीडन की कंपनी अपने ग्रिपेन लड़ाकू विमान के साथ भारत में संभावना देख रही है. कंपनी ने दावा है कि इन्होंने भारतीय वायु सेना के लिए 2007 में जो पेशकश की थी उसकी तुलना में कहीं अधिक उन्नत फाइटर जेट को इस बार पेश करेगी. फ्रांस राफेल लड़ाकू जेट के साथ ही इस निविदा में भाग लेगा. हाल ही में, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने 114 लड़ाकू अधिग्रहण परियोजना के लिए राफेल को मजबूत दावेदारों में से एक करार दिया था.
सूत्रों ने कहा कि परियोजना में चयन के लिए, मुख्य पहलू प्रस्ताव की कीमत के साथ-साथ विमान की क्षमताएं होंगी, जिस पर यह पेशकश की जाएगी. भारतीय वायु सेना ने विमान खरीद की मापदंडों को और भी ऊंचा कर दिया है जिसके आधार पर लड़ाकू विमानों का चयन किया जाएगा. भारतीय वायु सेना एकल और डबल इंजन दोनों तरह के फाइटर जेट को टेस्ट करेगी.
महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें जो भी फाइटर जेट वायु सेना द्वारा चयनित किया जाता है, वह अगले चार दशकों (40 साल) तक भारत के हवाई ताकत का मुख्य आधार बना रहेगा और इसे Su-30MKI के साथ पूरी तरह से ऑपरेशनल रखने की आवश्यकता होगी. ऐसे लड़ाकू विमानों की कुल संख्या 240 होगी जिसमें 114 विमान मेड इन इंडिया होंगे और विदेशी कंपनियों को भारत के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करना होगा ताकि आत्म निर्भर भारत की योजना को भी मजबूती मिल सके.