मिस्त्र के स्वेज नहर में फंसा विशालकाय जहाज आखिरकार निकल गया जिससे लगा हुआ भीषण जाम भी अब खुल गया है. अब इस रास्ते से मालवाहक पोतों का यातायात सामान्य होने की तरफ बढ़ रहा है. लाल सागर और भूमध्य सागर के बीच मौजूद इस छोटे लेकिन बेहद महत्वपूर्ण जलमार्ग में एवर गिवन नाम का शिप तिरछा होकर फंस गया था जिस वजह से बीते सात दिनों से ये मार्ग बंद था. इस मार्ग के बंद होने के चलते नहर के दोनों छोर पर सैकड़ों मालवाहक जहाज और फंस गए थे. हालांकि अब वहां जहाज के फंसने के कारणों की जांच शुरू हो चुकी है.
स्वेज नहर प्राधिकरण (एससीए) के अध्यक्ष ओसामा रबी ने बताया कि हो सकता है मौसम की स्थिति इसके लिए जिम्मेदार रही हो क्योंकि 23 मार्च को हवा काफी तेज थी या फिर मानवीय गलती भी वजह हो सकती है. जांच में इसका खुलासा होगा.
'एवर गिवन' जहाज चीन से माल लादने के बाद नीदरलैंड के पोर्ट रॉटरडैम जा रहा था. ये शिप स्वेज नहर से गुजर रहा था, लेकिन तेज और धूलभरी हवा की हवा की वजह से नहर में ही फंस गया था. 400 मीटर लंबे इस जहाज में 2 लाख टन से भी ज्यादा का माल लदा है. इस शिप के चालक दल में 25 भारतीय भी शामिल हैं जिनसे पूछताछ हो सकती है.
बुधवार से इस जांच की शुरुआत हुई है जिसको लेकर फंसे हुए जहाज एवर गिवन के कप्तान ने कहा कि वो जांच में सहयोग करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जहाजों के स्वेज नहर में फंसने की वजह से "बड़े नुकसान" की संभावना बीमा दावों की सुगबुगाहट को जन्म दे सकती है, संभवतः यह राशि 100 मिलियन डॉलर या उससे अधिक भी हो सकती है. एवर गिवन के मालिक ने कहा कि उन्होंने इसको लेकर रुकावट पर कोई दावा या मुकदमा नहीं किया है.
हालांकि जांच उसी वक्त शुरू कर दी गई थी जब यह विशालकाय जहाज स्वेज नहर में फंसा हुआ था. एससीए ने 400 से अधिक जहाजों के बैकलॉग को साफ करने के लिए टीम भेजी है जो नहर के दोनों छोर पर फंसे हुए जहाजों को निकालने का काम कर रही है. टीम के मुताबिक उम्मीद है कि सप्ताह के अंत तक जहाजों की कतारें खत्म हो सकती हैं.
वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक शिपिंग महानिदेशालय के डॉयरेक्टर जनरल अमिताभ कुमार ने बताया, “चूंकि भारतीय चालक दल को कोई नुकसान नहीं हुआ है, इसलिए हमारे लिए अभी हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है. अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के अनुसार, कोई भी पोत जो किसी दुर्घटना के साथ मिला है, उसकी नियम के अनुसार जांच की जानी चाहिए. इसे 'आकस्मिक जांच' कहा जाता है.