ईरान में शरिया कानून लागू है. इसकी वजह से वहां के लोगों को कई तरह की पाबंदियों का सामना करना पड़ता है. महिलाओं को हिजाब में रहना जरूरी है. जो इस कानून को नहीं मानता या तोड़ता है उसे सख्त सजा दी जाती है. लेकिन 70 के दशक में ईरान ऐसा नहीं था. वहां इतनी आधुनिकता थी, जितनी आज के पश्चिमी देशों में दिखाई पड़ती है. यानी पश्चिमी देशों से ज्यादा मॉडर्न था ईरान.
इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान में पश्चिमी सभ्यता का काफी बोलबाला था. लोग इसका आनंद भरपूर लेते थे. खुलापन था. आजादी थी.
पहनावे और खानपान को लेकर कोई रोकटोक नहीं थी. कला, संगीत, फिल्म और साहित्य को लेकर काफी जागरूक थे.
जीने के अंदाज को लेकर किसी तरह का रोक नहीं था. लेकिन अभी हाल ही में ईरान में 8 सेलिब्रिटीज को सोशल मीडिया पर मॉडलिंग की फोटो शेयर करने के लिए जेल भेज दिया गया.
इन आठों सेलिब्रिटीज पर आरोप लगा कि इन्होंने इस्लाम विरोधी संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया है. ये शरीया कानून के खिलाफ है इसलिए इन्हें जेल में डाला जाता है.
सत्तर के दशक में ईरान में मशहूर पॉप गायिका गूगूश हुआ करती थीं. उनके टेप और एल्बम आज भी उन लोगों के पास मिल जाएंगे जो ईरान छो़ड़कर किसी और देश में जा बसे हैं.
इतना ही नहीं 1979 में गूगूश ईरान छोड़कर ब्रिटेन जाकर बस गए थे. क्योंकि उस समय ईरानी क्रांति चल रही थी.
इस क्रांति से पहले महिलाओं को इतनी आजादी थी कि वे कुछ भी पहन सकती थी. कहीं भी आ-जा सकती थीं. अपने मन के काम कर सकती थीं.
70 के दशक में ईरान के लोग पश्चिमी पहनावे से काफी प्रेरित नजर आते हैं. वो उस पहनावे और संस्कृति को अपना चुके थे.
पुरुष और महिलाएं तटों और स्वीमिंग पूल पर वही कपड़े पहनकर नहाते थे जो उस समय के लिए बने थे. लेकिन आज महिलाएं ऐसा नहीं कर सकतीं. उन्हें हिजाब पहनना ही होता है.
अगर आप 70 के दशक की तस्वीरें देखेंगे तो आपको ईरान के पहनावे में बेलबॉटम, बड़े कॉलर की शर्ट, लंबे बाल आदि देखने को मिलता था.
महिलाएं लॉन्ग बूट पहनती थी. वैसे कपड़े पहनती थीं जो उन्हें जरूरत के अनुसार ठीक लगते थे. लेकिन आज महिलाएं ऐसा नहीं कर सकतीं.
1979 में ईरान के शाह मोहम्मद रेजा पहलवी को सत्ता से हटा दिया गया. हालात ये थे कि शाह मोहम्मद को सत्ता ही नहीं, देश छोड़ने पर भी मजबूर होना पड़ा.
फिर अयातुल्लाह खमैनी ने देश की कमान संभाल ली. ईरान में इस्मालिक राज्य की स्थापना हुई. शरिया कानून लागू कर दिया गया.
80 के दशक में जब शरीया कानून ईरान में लागू हुआ तबसे नियम-कायदे बहुत ज्यादा सख्त हो गए हैं. इनका पालन नहीं करने वालों बेहद कड़ी सजा मिलती है.
हालांकि, आजकल विश्व स्तर पर ईरान के खिलाड़ियों की मौजूदगी है लेकिन बेहद कम. इतना ही नहीं उनकी संस्कृति और परंपरा का प्रचार-प्रसार भी कम होता है.
पर्यटन को लेकर भी ईरान की सरकार बहुत कम प्रचार-प्रसार करती है. उनके पर्यटन स्थलों को लेकर आजकल बेहद कम जानकारी मिलती है. जबकि, 70 के दशक में पश्चिम देशों से हजारों की संख्या में लोग ईरान घूमने जाते थे.
आज का ईरान काफी विकसित हो गया है लेकिन उसकी वह शरीया कानून के तहत की काम करता है. इस कानून के सभी नियम उन लोगों पर भी लागू होते हैं जो कुछ दिनों के लिए ईरान काम से या घूमने जाते हैं.