विवादास्पद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना में अब ईरान ने भी दिलचस्पी दिखाई है. यह परियोजना पहले चरण के कई काम पूरे कर अब अपने दूसरे चरण में प्रवेश कर चुकी है. इस परियोजना का एक हिस्सा पीओके से होकर गुजरेगा.
न्यूज एजेंसी आईएनएस ने पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया है कि पाकिस्तान के लिए ईरान के कामर्शियल अताशे मोराद नेमती जरगरान ने शनिवार को कराची चेंबर आफ कामर्स एंड इंटस्ट्री (केसीसीआई) में एक कार्यक्रम में कहा कि सीपीईसी जरूरी है और इसने पाकिस्तान और ईरान के लिए कई संभावनाओं के द्वार खोले हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक जरगरान ने कहा कि दोनों देशों के व्यापारिक समुदाय को अधिक संपर्क में रहना चाहिए और द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध मजबूत करने चाहिए. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
कराची में आयोजित इस कार्यक्रम में उद्योग और कारोबार जगत के लोगों ने इस बात को जोर देकर उठाया कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बहुत कम है और इसे बढ़ाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.
बता दें कि सीपीईसी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है और भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई हुई है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे में जो कश्मीर है, वह उसी का हिस्सा है और इसमें इस तरह की परियोजना पर अमल गलत है.
क्या है चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा:
चीन प्रायोजित करीब 60 अरब डालर की लागत वाले सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत चीन के शिनजिंयाग क्षेत्र से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक सड़क, रेल और ऊर्जा परियोजनाओं का नेटवर्क विकसित किया जाना है.
भारत कर रहा है विरोध:
भारत शुरू से ही इस परियोजना का विरोध कर रहा है. क्योंकि यह गलियारा गिलगित-बाल्टिस्तान से होते हुए जाएगा. यह प्रोजेक्ट समंदर में बंदरगाह को विकसित करेगा, जो हिंद महासागर तक चीन की पहुंच का रास्ता खोलेगा.