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ईरान के परमाणु संयंत्र पर हमले का आरोप, इजरायल ने दी ये सफाई

aajtak.in
  • 05 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 8:41 AM IST
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ईरान के नातान्ज स्थित परमाणु संयंत्र में आग लगने के बाद इजरायल को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इजारयल ने ईरान के परमाणु संयंत्र को बर्बाद करने के मकसद से हमला किया था जिससे भूमिगत संयंत्र के भवन में आग लग गई. हालांकि इजरायल ने इससे पूरी तरह इनकार कर दिया है.

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इज़रायल के रक्षा मंत्री ने रविवार को कहा कि ईरान में होने वाली हर रहस्यमय घटना के पीछे "जरूरी" नहीं है कि इजरायल का ही हाथ हो. परमाणु संयंत्र में आग लगने के बाद कुछ ईरानी अधिकारियों ने कहा था कि यह साइबर हमले का नतीजा था.

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बता दें कि उस क्षेत्र में व्यापक रूप से माना जाता है कि इजरायल ही एकमात्र परमाणु शक्ति वाला देश है और वो कभी नहीं चाहता कि ईरान भी यह शक्ति हासिल करे. वहीं ईरान का मानना है कि उसका मकसद परमाणु हथियार जमा करना नहीं है और शांतिपूर्ण कामों के लिए परमाणु कार्यक्रम को विकसित कर रहा है.

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ईरान के नातान्ज में भूमिगत परमाणु संयंत्र में गुरुवार को एक मंजिला इमारत को आंशिक रूप से जला दिया गया था, ईरान के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का यह केंद्र बिंदु है और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी द्वारा इसकी निगरानी की जाती है.

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यह पूछे जाने पर कि क्या ईरानी परमाणु स्थलों पर इजरायल का "रहस्यमयी विस्फोट" से कोई लेना-देना है, इजरायली रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ ने कहा: "ईरान में होने वाली हर घटना में इजरायल का हाथ होना जरूरी नहीं है." गैंट्ज़ ने इज़रायल रेडियो को बताया, "परमाणु संयंत्र की सुरक्षा एक जटिल प्रकिया है. उनके पास सुरक्षा की काफी कमी और दिक्कतें हैं. मुझे यकीन नहीं है कि वे हमेशा सुरक्षा बनाए रखना जानते हैं."

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2010 में, स्टक्सनेट कंप्यूटर वायरस, जो व्यापक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़रायल द्वारा विकसित किया गया था, के लिए माना जाता था कि यह अर्नान पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. पिछले महीने, इजरायल के सुरक्षा कैबिनेट मंत्री ज़ीव एलकिन ने कहा था कि ईरान ने अप्रैल में इज़रायल की जल प्रणाली पर एक साइबर हमले  का प्रयास किया था.

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ईरान ने छह विश्व शक्तियों के साथ 2015 के समझौते के तहत अधिकांश वैश्विक प्रतिबंधों को हटाने के बदले में अपने परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाया था. संयुक्त राज्य अमेरिका के 2018 में प्रतिबंध लगाए जाने क बाद ईरान में भी परमाणु कार्यक्रम पर रोक का अनुपालन कम हो गया है.

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