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भारत दौरे पर स्वीडन के राजा, पत्नी संग ई-रिक्शा में की सवारी

aajtak.in
  • 02 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:41 PM IST
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स्वीडन के राजा कार्ल XVI गुस्ताफ और रानी सिल्‍विया राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के निमंत्रण पर भारत दौरे पर आए हैं. वे 2 से 6 दिसंबर के बीच नई दिल्ली, मुंबई और उत्तराखंड का दौरा करेंगे. स्‍वीडन के राजा अपने देश के उद्योगपतियों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍व कर रहे हैं.

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शाही जोड़े ने स्टॉकहोम से एयर इंडिया के विमान में उड़ान भरी थी. दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर दोनों की तस्वीरों को एयर इंडिया ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया. इसके बाद स्वीडिश शाही जोड़े की तस्वीरें वायरल हो गईं क्योंकि उन्होंने अपने बैग्स खुद उठा रखे थे.

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बताया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं. भारत और स्वीडन के बीच संबंध पिछले कुछ सालों में काफी मजबूत हुए हैं.

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1988 में राजीव गांधी के स्‍वीडन दौरे के बाद 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-नोर्डिक समिट में स्वीडन गए थे. गौरतलब है कि स्वीडन ने पराली को हरित कोयला या ऊर्जा पैलेट्स में बदलने का उपाय भी सुझाया है, जिसका ईंधन के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है.

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स्वीडन ने जम्मू-कश्मीर में लागू पाबंदियों और राजनीतिक हिरासतों का विरोध किया था. स्वी​डन की संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वीडन की विदेश मंत्री एने लिंद (Anne Linde) ने राज्य में लागू पाबंदियों को हटाने की अपील की और भारत-पाकिस्तान के बीच द्विप​क्षीय “राजनीतिक समाधान” निकालने पर जोर दिया था.

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न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक, सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आगंतुक स्वीडन के राजा कार्ल XVI गुस्ताफ पंजाब के मोहाली में बटन दबाकर पराली से हरित कोयला बनाने की पायलट परियोजना की आधिकारिक रूप से शुरुआत करेंगे. इस परियोजना में स्वीडिश कंपनी बावेनडेव सहयोग करेगी.

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इस साल जनवरी में मोहाली में राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएबीआई) ने पायलट परियोजना की स्थापना के लिए स्वीडन की कंपनी बावेनडेव एबी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. भारत सरकार और बावेनडेव एबी ने परियोजना को लेकर 50-50 की साझेदारी है.

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इस संयंत्र में टोरीफेक्शन प्रक्रिया अपनाई जाएगी. यह बायोमास को कोयला जैसी सामग्री में तब्दील करने की प्रक्रिया है. हरित कोयला कोई कार्बन फुटप्रिंट नहीं छोड़ता.

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बावेनडेव की वेबसाइट के अनुसार, भारत में हर साल 3.5 करोड़ टन धान की ऊर्जा बेकार हो जाती है. इसे जैव कोयले में तब्दील किया जा सकता है और इसे 2.1 करोड़ टन जीवाश्म कोयले में तब्दील किया जा सकता है.

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