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रास्ते में पैदा हुआ मजदूर महिला का बच्चा, 170 KM चलने के बाद मिली मदद

योगितारा दूसरे
  • 13 मई 2020,
  • अपडेटेड 7:38 AM IST
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कोरोना वायरस का डर और लॉकडाउन के बीच देशभर से प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. ये मजदूर पैदल बिना खाये-पिये निकल पड़े हैं अपनी मंजिल अपने गांव पहुंचने के लिए. इस दौरान रास्ते में इन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है.  ऐसी एक कहानी है मध्य प्रदेश के सतना जिले के उचेहरा की रहने वाली एक गर्भवती महिला की. जिसने रास्ते में बेहद ही मुश्किल स्थिति में बच्चे को जन्म दिया.

(Photo Aajtak)

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महाराष्ट्र के नासिक से एक मजदूर गर्भवती महिला अपने  परिवार के साथ अपने गांव उचेहरा के लिए निकल पड़ी. लेकिन नासिक के आगे पीपरगांव में महिला का प्रसव हो गया. लेकिन रास्ते में इस दौरान महिला और उसके परिवार को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल सकी. गांव की ही कुछ महिलाएं रास्ते में कदम-कदम पर महिला का हौसला बढ़ाती रहीं और प्रसव के दो घंटे बाद महिला फिर चल पड़ी.  

(Photo Aajtak)

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अपने नवजात को गोद में उठाकर 170 किलोमीटर पैदल चलने के बाद मध्य प्रदेश के बिजासन बॉर्डर पर पहुंचकर उन्हें मदद मिली.  जब उचेहरा के नजदीक इचौल पहुंची तो प्रशासन ने उसे जननी एक्सप्रेस मुहैया कराई. अभी जच्चा-बच्चा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उचेहरा में भर्ती कराया गया है. दोनों की हालत खतरे से बाहर है.

(Photo Aajtak)

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शंकुतला के पति राकेश कोल ने बताया कि नासिक से चले थे. पीपरगांव में मेरी पत्नी के पेट में दर्द शुरू हो गया. रास्ते में ही डिलिवरी हो गई. हमारे गांव की 4-5 महिलाएं थीं और साड़ी की आड़ बनाकर प्रसव कराया. फिर हम लोगों ने दो घंटे आराम किया आगे की तरफ पैदल चल दिए. जब 100-150 किलोमीटर पैदल चले फिर एक ट्रक मिला. जिसने हम लोगों को 10 किलोमीटर आगे तक छोड़ा.

(Photo Aajtak)

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जिला कलेक्टर अजय कटेसरिया के निर्देश पर प्रसूता महिला शकुंतला को रेडक्रॉस सोसायटी ने 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्घ कराई. महिला बाल विकास विभाग ने दो किलो लड्डू एवं राशन सामग्री दी. प्रशासन महिला और उसके बच्चे का पूरा ख्याल रख रहा है.

(Photo Aajtak)

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