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यहां हर साल कटते हैं 30 हजार कुत्ते, 50 रु. में पकड़कर 4 हजार में बिक्री

हेमंत कुमार नाथ
  • 06 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST
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नगालैंड में कुत्ते और उसके मांस की बिक्री पर पाबंदी लगने के बाद स्थानीय लोग नाराज हैं. लोगों का कहना है कि कुत्ते का मांस वो बरसों से खा रहे हैं, खान-पान पर पाबंदी लगाना गलत है. वहीं, मांस के लिए कुत्तों पर हो रही क्रूरता पर कुछ संगठन लंबे समय से आवाज उठाते आ रहे हैं. इस विवाद के बीच आइये जानते हैं कैसे चलता है कुत्तों के मांस का मार्केट....

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कुत्ते का मांस सबसे ज्यादा नगालैंड में बिकता है. इसके अलावा मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल के कुछ पहाड़ी इलाकों में खाया जाता है. नगालैंड और असम की सीमा पर बसा दीमापुर कुत्ते के मांस का सबसे बड़ा मार्केट है. इसी मार्केट से पूरे पूर्वोत्तर राज्यों में कुत्तों के तस्करी के तार जुड़ते हैं.

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जानकार बताते हैं कि कई राज्यों से चोरी छिपे कुत्तों की तस्करी होती है. दीमापुर के कसाई खानों में कुत्ते ले जाए जाते हैं और यहीं से कुत्तों का मांस मार्केट में बिकता है.

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बताया जाता है कि कुत्तों को दीमापुर के मार्केट में लाने का काम कई छोटे-छोटे गिरोह को दिया जाता है. ये गिरोह असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर से कुत्तों को पकड़कर नगालैंड के दीमापुर मार्केट में लाते हैं. कुत्तों को पकड़ने का रेट 50 से 150 रुपये तक दिया जाता है.

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दीमापुर मार्केट में कुत्ते एक हजार रुपये तक बिकते हैं. सबसे ज्यादा कुत्ते का मांस त्योहारों पर बिकता है. इस दौरान 4 हजार रुपये तक मांस का रेट हो जाता है. कुछ लोग तो यह भी बताते हैं कि कुत्ते पकड़ने वाले लोग कई बार पालतू कुत्तों को भी पकड़कर दीमापुर के मार्केट में बोरियों में बंद कर ले जाते हैं.

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दीमापुर से कुत्तों का मांस फिर छोटी दुकानों और कई होटल में बिकने जाता है. आमतौर पर छोटे दुकानदार कुत्ते का मांस सुखाकर बेचते हैं.इसकी कीमत 200 से 250 रुपये प्रति किलो होती है.

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नगालैंड के होटल और भोजनालयों में भी कुत्ते का मांस चावल के साथ बेचा जाता है. कुत्तों पर हो रही क्रूरता पर आवाज उठाने वाली संस्था ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल के मुताबिक, हर साल 30 से 40 हजार कुत्तों की तस्करी नगालैंड में होती है.

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बता दें कि नगालैंड सरकार ने राज्य में कुत्ते और उसके मांस के आयात और बिक्री पर बैन लगा दिया है. बीते कुछ समय से कुत्तों के मांस की बिक्री पर पाबंदी लगाने को लेकर कुछ संगठन आवाज उठा रहे थे. जिसके बाद शुक्रवार को नगालैंड सरकार ने यह कदम उठाया है.

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नगालैंड सरकार ने ये फैसला फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन (FIAPO) की अपील के बाद लिया है. इस बारे में FIAPO के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर वरदा मेहरोत्रा ने बताया कि हाल ही में उस वक्त हमारे होश उड़ गए जब दीमापुर (नगालैंड  का व्यापारिक केंद्र) में कई कुत्ते बोरों में बंद होकर बिकने के लिए आए थे. उन्हें बेहद क्रूरता के साथ बोरों में बंद कर कसाईखाने ले जाया जा रहा था.

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इसके पहले कई बार कुत्तों की तस्करी और उनके साथ होने वाली क्रूरता को लेकर आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद चोरी-छिपे कुत्तों की तस्करी होती रही. 2016 से हमने सरकार से कुत्तों के मांस की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की थी जिसके बाद अब नगालैंड सरकार ने ये फैसला लिया है.

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