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अंधविश्वास vs सचः आखिर क्यों डरते हैं लोग चंद्र ग्रहण से, जानिए कारण

aajtak.in
  • 07 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:46 AM IST
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चंद्र ग्रहण से मचेगी तबाही. इससे होगा भारी नुकसान. दुनिया में आएंगी आपदाएं. समुद्र से निकलेगी सुनामी. ऐसी कई बातें होने लगती हैं, जब चंद्र ग्रहण होता है. कितनी सच्चाई है इनमें? क्या ये सिर्फ अफवाहें हैं? या लोगों को डराने के लिए कुछ बहाने. आइए जानते हैं कि विज्ञान क्या कहता है चंद्र ग्रहण के बारे में?

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सबसे पहले जानिए...चंद्र ग्रहण क्या होता है?

साधारण भाषा में कहा जाए तो चंद्र ग्रहण का मतलब ये है कि जब सूरज और चांद के बीच में पृथ्वी आ जाए तब चंद्र ग्रहण लगता है. यानी चांद के एक हिस्से पर सूरज की रोशनी नहीं पड़ती. तभी चंद्र ग्रहण लगता है.

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पहले लाल रंग का चांद देख डर जाते थे लोग

पुराने समय में जब चंद्र ग्रहण के समय लोग उसे लाल रंग में देखते थे तब वे शैतानी ताकतों के आगे बढ़ने से डर जाते थे. ये माना जाता था कि इंसानों के लिए ये खतरनाक सिग्नल है भगवान का. लेकिन उन्हें ये जानकारी नहीं थी कि जिस समय चंद्र ग्रहण होता है उस वक्त चांद पर सूरज की रोशनी नहीं पड़ती.

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आखिर चंद्र ग्रहण में चांद लाल क्यों होता है?

जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी आ जाती है यानी सूरज की रोशनी पृथ्वी की वजह से चांद तक नहीं पहुंचती तब चांद लाल रंग का दिखने लगता है. इस खगोल विज्ञान की भाषा में सीजीगी कहते हैं. यानी सूरज, पृथ्वी और चंद्रमा एक लाइन में आ जाते हैं.

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मानव शरीर पर क्या असर होता है?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार आज तक कोई ऐसा प्रमाण नहीं मिला है, जिससे ये पता चलता हो कि चंद्र ग्रहण से मानव शरीर पर कोई नुकसान होता हो. यानी शरीर पर कोई नुकसान नहीं होता. आप इसे खुली आंखों से देख सकते हैं.

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मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है लोगों पर

सदियों से लोग चंद्र ग्रहण को लेकर डरे हुए हैं. उससे होने वाले नुकसान की कहानियां सुनते आए हैं. वहीं लोगों के मन में बुरा होने की आशंका बनी रहती है. अगर कुछ गलत हो जाता है तो लोग उसे चंद्र ग्रहण से जोड़ लेते हैं. इससे उनके शरीर पर असर पड़ता है, जैसे ब्लडप्रेशर बढ़ना, बेचैनी होना आदि. लेकिन ये भी तो सोचिए कि उस दिन दुनिया भर के करोड़ों लोगों के साथ अच्छी बातें भी तो होती होंगी. क्या उनपर असर नहीं होती.

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ग्रहण का असर पड़ता है शरीर में मौजूद पानी पर

चंद्र ग्रहण के समय पृथ्वी के सभी सागरों पर असर पड़ता है. क्योंकि यह होता है गुरुत्वाकर्षण शक्ति के खिंचाव की वजह से. इसी तरह मानव शरीर में मौजूद 70 फीसदी पानी पर भी इस खिंचाव का असर पड़ता है. लेकिन यह इतना कम होता है कि आपको इसका पता तक नहीं चलता. यानी न के बराबर. (फोटोः जोस एंतोनियो/नासा)

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खुली आंखों से देख सकते हैं चंद्र ग्रहण

आमतौर पर चंद्र ग्रहण के समय सूरज की रोशनी चांद पर नहीं पड़ती. इसलिए आप इसे खुली आंखों से देख सकते हैं. क्योंकि सूरज की रोशनी का सीधा आंखों से टकराना खतरनाक है. लेकिन चंद्र ग्रहण के समय तो सूरज होता नहीं, इसलिए उसकी खतरनाक रोशनी भी नहीं होती. तो डर कैसा खुली आंखों से लीजिए इस खूबसूरत खगोलीय नजारे का आनंद.

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