पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आमजन परेशान है. ऐसे में लोगों को पुराना समय आता है, जब बैलगाड़ी चलती थीं. न हीं पॉल्यूशन, न शोर शराबा और न हीं फालतू का खर्चा. हां इतना जरूर था, कि गंतव्य तक पहुंचने में समय लगता था. आज की नई पीढ़ी की जहन में तो बैलगाड़ियों की तस्वीर भी नहीं होगी, ऐसे में पूर्व बर्दवान जिले की सड़कों पर एक शख्स बैलगाड़ी के साथ नजर आते हैं. हालांकि उनकी बैलगाड़ी में बैल नहीं हैं, लेकिन ये बैलगाड़ी वे साइकिल से खुद ही खींचते नजर आते हैं. (इनपुट- सुजाता मेहरा)
बंगाल के पूर्व बर्दवान जिले के बड़ाग्राम के रहने वाले सुशांत घोष की अजब गजब जुगाड़ जो भी देखता है, तो वो हैरान रह जाता है. सुशांत घोष पुरानी बैलगाड़ी के साथ नजर आते हैं. हालांकि इस बैलगाड़ी में बैल नहीं है, इसे खींचने के लिए उन्होंने साइकिल को इसमें फिट किया हुआ है. साइकिल में पैडल मारकर ये इस बैलगाड़ी को खींचते हैं.
सुशांत घोष इस जुगाड़ गाड़ी से अपने घर और दुकान के महत्वपूर्ण काम ही नहीं करते हैं, बल्कि पैट्रोल और डीजल पर होने वाला फालतू खर्च भी बचाते हैं. सुशांत वैसे तो खेती का काम करते हैं, लेकिन खाली समय में वे अपनी पुस्तैनी मिठाई की दुकान पर भी काम करते हैं.
उनके बड़े भाई की बड़ा चौमाठा में स्थित मिठाई की पुस्तैनी दुकान संभालते हैं. वे बताते हैं कि दुकान पर मिठाई बनाने के लिए जो भी समान लाना होता है, उसके लिए वे इसी जुगाड़ गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं. दुकान के लिए ईधन लाना हो या फिर खेती करने के दौरान बीज या खाद. वे इसी गाड़ी से सारे काम करते हैं.
सुशांत घोष बताते हैं कि पहले उनके यहां बैल हुआ करते थे, लेकिन अब बैल तो नहीं हैं, लेकिन पुरानी बैलगाड़ी उनके घर पर रखी हुई थी. इसी गाड़ी में उन्होंने साइकिल फिट करके जुगाड़ गाड़ी तैयार कर ली है.
उन्होंने बताया कि "साइकिल से खुद ही गाड़ी खींचता हूं.यह मेरा शौक है और अब तो आदत बन गई है. पिछले चार से पांच साल से इसी तरह बैलगाड़ी का साइकिल से खींच रहा हूं."