भारत-चीन के बीच हुए विवाद में मध्य प्रदेश के रीवा जिले का एक जवान शहीद होने की खबर के बाद पूरे जिले में मातम पसरा हुआ है. शहीद नायक दीपक सिंह फरेंदा गांव थाना मनगवां के निवासी थे. शुक्रवार को शहीद का पार्थिव शरीर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अग्नि के सुपुर्द किया गया.
नायक दीपक सिंह का पार्थिव पहुंचा तो उनके गांव में शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए बाइक के साथ जनसमूह उमड़ पड़ा. सेना के अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रभारी मंत्री मीना सिंह, पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल शामिल रहे.
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने शहीद नायक दीपक सिंह को श्रद्धांजलि और कंधा दिया. शहीद को बड़े भाई ने मुखाग्नि दी. मुख्यमंत्री ने चीन का विरोध करते हुए चायनीज सामग्री का बहिष्कार करने की अपील की.
सीएम ने ट्वीट करते
हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से हमने फैसला किया है कि शहीद दीपक
सिंह के परिजनों को एक करोड़ रुपये सम्मान निधि दी जायेगी. उनकी धर्मपत्नी
को शासकीय सेवा में लिया जायेगा. एक मार्ग का नामकरण उनके नाम पर होगा और
गांव में उनकी प्रतिमा भी स्थापित की जायेगी.
30 साल के नायक दीपक सिंह 2013 में सेना में भर्ती हुए थे. हाल ही में दीपक
शादी करने के बाद बॉर्डर पर ड्यूटी के लिए गए थे और उसके बाद उनके शहीद
होने की खबर आ गई.
रीवा जिले के छोटे से गांव फरेंदा में कृषक गजराज सिंह के दोनों बेटे सेना
में भर्ती हुए. भारतीय सेना के 75वीं बटालियन में राजस्थान के जैसलमेर
बॉर्डर में बड़े बेटे प्रकाश सिंह पदस्थ हैं जबकि शहीद दीपक सिंह बिहार
रेजिमेंट में पदस्थ थे.
शहीद दीपक की मां का निधन कई वर्ष पहले हो गया था.
इसके बाद दादी फूल कुमारी ने दीपक कि परवरिश की.
नायक दीपक की 30 नवंबर 2019 को शादी हुई थी. पत्नी रेखा सिंह नवोदय विद्यालय सिरमौर में शिक्षिका हैं.
दादी फूल कुमारी से दीपक के आखिरी बार बात हुई थी तब दीपक ने कोरोना खत्म
होने पर लौटने को कहा था. अब दादी मां को विश्वास नहीं हो रहा कि उनके घर
का दीपक बुझ चुका है. नायक दीपक के शहीद होने की खबर आने के बाद से पूरे
गांव में मातम का माहौल था.
सेना ने गुरुवार सुबह साढ़े 8 बजे नायक दीपक सिंह के शहीद होने की होने के
खबर दी. उसके बाद परिवार को यकीन नहीं हुआ. नायक दीपक के बड़े भाई और सेना
में पदस्थ चचेरे भाई से जानकारी मांगी. आखिरकार वही हुआ जिसका परिवार वालों
का डर था.
हिंसक झड़प में ये सैनिक हुए थे शहीद
बता दें कि गलवान घाटी
में हुई हिंसक झड़प में कर्नल संतोष बाबू, हैदराबाद, सूबेदार नुदूराम
सोरेन, मयूरभंज, सूबेदार मंदीप सिंह, पटियाला, सूबेदार सतनाम सिंह,
गुरदासपुर, हवलदार के. पलानी, मदुरै, हवलदार सुनील कुमार, पटना, हवलदार
बिपुल रॉय, मेरठ, दीपक कुमार, रीवा, सिपाही राजेश ओरंग, बीरभूम, सिपाही
कुंदन कुमार, साहिबगंज, सिपाही गणेश राम, कांकेर, सिपाही चंद्रकांत प्रधान,
कंधामल, सिपाही अंकुश, हमीरपुर, सिपाही गुरबिंदर, संगरूर, सिपाही गुरतेज
सिंह, मनसा, सिपाही चंदन कुमार, भोजपुर, सिपाही कुंदन कुमार, सहरसा, सिपाही
अमन कुमार, समस्तीपुर, सिपाही जय किशोर सिंह, वैशाली और सिपाही गणेश
हंसदा, ईस्ट सिंघभूमि शहीद हुए थे.