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MP: इस गांव में बन रहे हैं 1 इंच के सवा करोड़ नर्मदेश्वर शिवलिंग, 8 साल चलेगा काम

उमेश रेवलिया
  • खरगोन ,
  • 19 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST
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मध्य प्रदेश के खरगोन में नर्मदा नदी के किनारे बसा एक छोटा सा गांव बकावा 'कंकड़' से शिवलिंग बना रहा है. ये शिवलिंग आंध्र प्रदेश के गुंटूर में एक संस्थान के लिए बनाए जा रहे है. संस्थान ने 8 साल में सवा करोड़ शिवलिंग बनाने का लक्ष्य दिया है, जिन्हें गुंटूर के मंदिर में स्थापित किया जाएगा.

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मान्यता है कि नर्मदा नदी से निकलने वाला हर कंकड़ (पत्थर) शंकर का रूप होता है. यहां से निकलने वाले कंकड़ को तराश कर शिवलिंग बनाया जाता है जिन्हें नर्मदेश्वर शिवलिंग कहते हैं. इसके लिए करीब 50 व्यक्ति रोज नर्मदेश्वर शिवलिंग तैयार करने में जुटे हैं. बिना प्राण-प्रतिष्ठा के इनकी स्थापना की जा सकती है. हर रोज करीब 3500 श‍िव‍ल‍िंंग तैयार हो रहे हैं. 

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एक साल पहले आंध्र प्रदेश की संस्था कोटिलिंगला महाकालेश्वर महाकालिका आध्यात्मिक सेवा संस्थान ने बकावा के शिल्पकार दीपक नामदेव से सम्पर्क किया और उन्हें एक इंच आकार के सवा करोड़ शिवलिंग बनाने को कहा. 

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इस संस्थान से जुड़े लक्ष्मीनारायण ने बताया कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के वेमवरम गांव में भव्य मंदिर बनाने की योजना है. इसी मंदिर में सवा करोड़ शिवलिंग स्थापित किये जाएंगे. संस्थान ने 2020 में शिवलिंग बनाने के लिये सम्पर्क किया तो अनुमान लगाया कि इसमें कम से कम 8 साल का वक्त लगेगा. अभी हर महीने करीब 1 लाख शिवलिंग बनाये जा रहे है. अभी तक 12 लाख शिवलिंग बन चुके हैं. एक शिवलिंग की लागत करीब 5 रुपये आती है.

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ग्रामीण युवक और शिल्पकार शुभम वर्मा ने बताया कि देश में एक मात्र बकावा में ही नर्मदेश्वर शिवलिंग तैयार किये जाते हैं. इन शिवलिंग को देखने पर उसमें प्राकृतिक ओम, स्वास्तिक, नाग, गणेश, शिव का अर्धनारीश्वर रूप, मस्तक पर तिलक आदि‍ आकृति दिखती है.

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यहां देशभर से श्रद्धालु शिवलिंग लेने आते हैंं और ऑनलाइन डिलीवरी भी की जाती है. शिवरात्रि और सावन पर शिवलिंग की मांग अधिक बढ़ जाती है. विदेशों से भी ऑर्डर आते हैं. यहां 5 रुपये से लेकर 15 लाख रुपये तक के शिवलिंग बनाये जाते हैं.

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