कोरोना की दूसरी लहर ने भारत को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है और यहां हर दिन संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इस महामारी के दौर में देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को जिस चीज ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है वो है लिक्विड ऑक्सीजन की कमी. इसकी कमी की वजह से कई लोगों की जान अब तक जा चुकी है. देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने दूसरे देशों से इसे आयात करने का फैसला किया है जिसमें सऊदी अरब ने बड़ी मदद दी है. सऊदी अरब भारत को 80 मीट्रिक टन लिक्विड (तरल) ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहा है.
अडानी समूह और लिंडे कंपनी के सहयोग से 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन को कंटेनर द्वारा शिपमेंट किया जा रहा है. सऊदी अरब की तरफ से इस मदद पर रियाद में भारतीय मिशन ने ट्वीट कर सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय का आभार जताया.
80 टन तरल ऑक्सीजन के साथ 4 आईएसओ क्रायोजेनिक टैंकों की यह पहली शिपमेंट अब समुद्री रास्ते में है जो जल्द ही भारत पहुंच जाएगा जिसके बाद देश में ऑक्सीजन संकट खत्म हो जाने की संभावना है. अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने शिपमेंट की जानकारी खुद ट्वीट करके दी है.
बता दें कि भारत में पिछले कुछ समय से प्रतिदिन लगातार 3,00,000 से अधिक नए कोरोना वायरस के मामले सामने आने रहे हैं. यही वजह है कि कई राज्यों के अस्पताल मेडिकल ऑक्सीजन और बेड की कमी से जूझ रहे हैं. देश में ऑक्सीजन की बढ़ती मांग का मुकाबला करने के लिए, भारत 'ऑक्सीजन मैत्री' ऑपरेशन के तहत कंटेनरों और ऑक्सीजन सिलेंडरों की खरीद के लिए विभिन्न देशों से संपर्क कर रहा है.
भारतीय वायु सेना शनिवार को सिंगापुर से ऑक्सीजन के चार क्रायोजेनिक टैंक लेकर भारत पहुंची. भारतीय वायुसेना के C17 भारी-भरकम विमान से कंटेनरों को सिंगापुर से एयरलिफ्ट किया गया था. गृह मंत्रालय के मुताबिक "विमान सिंगापुर से लिक्विड O2 के 4 क्रायोजेनिक कंटेनरों के साथ पश्चिम बंगाल के पनागर एयरबेस पर उतरा". भारतीय वायुसेना आवश्यक दवाओं के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों में COVID-19 अस्पतालों द्वारा आवश्यक उपकरणों का परिवहन भी कर रही थी.