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शोभन सरकार का निधन, जिनके सपने पर खुदाई करवाने लगी थी सरकार

aajtak.in
  • 13 मई 2020,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST
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जिस साधु के सपने के आधार पर आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) जैसी प्रतिष्ठित संस्था साल 2013 में कई दिनों तक 1000 टन सोने के खजाने की खोज में खुदाई करती रही, उस साधु का बुधवार को कानपुर में निधन हो गया. (Demo Photo)

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इन साधु का नाम है शोभन सरकार. सरकार के निधन से उनके भक्तों में शोक की लहर है. कानपुर देहात के शिवली कोतवाली क्षेत्र के बैरी में बने उनके आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए भक्त पहुंच रहे हैं.

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बता दें कि अक्टूबर 2013 में शोभन सरकार ने दावा किया था कि यूपी के उन्नाव में राजा राव राम बख्श सिंह के किले में एक हजार टन सोने का खजाना दबा हुआ है. बाबा का उन्नाव के आसपास बहुत प्रभाव था. किले के पास शोभन सरकार का आश्रम भी था. इसके बाद ही साधु शोभन सरकार ने सरकार से सोना निकलवाने की बात कही थी.

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उसके बाद सरकार ने उनके सपने को सच मानते हुए खजाने को खोजने के लिए खुदाई भी शुरू करवा दी. हालांकि कई दिनों तक चली खुदाई के बाद भी खजाना नहीं मिला था.

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एक साधु के सपने के आधार पर खजाने की खोज पर उस समय केंद्र व प्रदेश सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी. तत्कालीन विहिप के नेता अशोक सिंघल ने कहा था कि सिर्फ एक साधु के सपने के आधार पर खुदाई करना सही नहीं है. वहीं, खजाने की खुदाई के दौरान कई दावेदार भी सामने आ गए थे. राजा के वंशज ने भी उन्नाव में डेरा जमा दिया था. वहीं ग्रामीणों ने भी खजाने पर दावा किया था.

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उसके बाद तत्कालीन केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि खजाने पर सिर्फ देशवासियों का हक होगा. उधर तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा था कि खजाने से निकली संपत्ति पर राज्‍य सरकार का हक होगा. यह खजाना ढौंडिया खेड़ा स्टेट के पच्चीसवें शासक राजा राव राम बक्श सिंह के किले के अवशेषों में दबा बताया गया था. (Demo Photo)

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साधु का पूरा नाम परमहंस स्वामी विरक्तानंद उर्फ शोभन सरकार था. इनकी उम्र करीब 72 साल रही. हैरानी की बात ये है कि किसी आम साधु की तरह इनके माथे पर तिलक नहीं होता और ना चंदन के त्रिपुंड बने होते थे. कपड़े के नाम पर वह सिर पर साफा बांधते थे. गेरुए रंग की लंगोट पहनते थे. सिर पर चादर बांधते थे और बदन पर अंगवस्त्र होता था. (Demo Photo)

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शोभन सरकार हमेशा उस गांव में नहीं रहे. गांववाले बताते थे कि शोभन सरकार के आने से से पहले गांव में रघुनंदन दास नाम के साधु रहते थे. अपनी समाधि के वक्त रघुनंदन दास ने कहा कि उनके जाने के बाद गांव में एक चमत्कारी युवा आएगा. फिर 47 साल पहले करीब 16 साल की उम्र में गांव में आए परमहंस स्वामी विरक्तानंद, गांववालों ने उन्हें वहां रुकने का अनुरोध किया. गांव वालों के आग्रह को वह मान गए और इन्हें गांव के लोग उन्हें शोभन सरकार कहने लगे. (Demo Photo)

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बताया जाता है कि इनका जन्म कानपुर देहात के शुक्लन पुरवा में हुआ था. पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था. कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था. शोभन सरकार ने गांव के लोगों के लिए कई तरह के जनहित के काम किए हैं. यही वजह है कि गांववाले भी उन्हें भगवान की तरह मानने लगे थे. शोभन भगवान राम और हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे. (Demo Photo)

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