पिछले दिनों राजनीति के एक दिलचस्प घटनाक्रम में पूर्व कांग्रेस सांसद और ग्वालियर के सिंधिया घराने से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. सिंधिया को बीजेपी में लाने के लिए जिसकी ज्यादा चर्चा हो रही है वो महिला बड़ौदा राजपरिवार की महारानी राजमाता शुभांगिनी देवी हैं.
दरअसल, सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के साथ ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस
सरकार का खेल बिगड़ गया, वहां सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इधर सिंधिया को
बीजेपी ने मध्य प्रदेश से अपना राज्यसभा उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है.
बीजेपी
में सिंधिया की एंट्री की पटकथा उनके ससुराल पक्ष की ओर से लिखी गई है.
सिंधिया की ससुराल बड़ौदा राजघराने में है. कहा जा रहा है कि बड़ौदा राजपरिवार की महारानी
राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मध्यस्थता कराने में अहम भूमिका निभाई है.
बड़ौदा
की महारानी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अत्यधिक सम्मान करते हैं और उनसे
उनके अच्छे ताल्लुक हैं. राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड़ ने सिंधिया और
बीजेपी नेतृत्व के बीच बातचीत का रास्ता तैयार किया.
ज्योतिरादित्य
की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया बड़ौदा के गायकवाड़ राजघराने से हैं,
इसलिए उनका वहां आना-जाना बराबर रहता है. बताया जा रहा है कि शुभांगिनी
देवी की बदौलत ही सिंधिया का कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने का फैसला
संभव हो सका है.
प्रियदर्शिनी की बड़ी मां हैं शुभांगिनी:
बड़ौदा की
राजमाता शुभांगिनी राजे प्रियदर्शिनी की बड़ी मां हैं. शुभांगिनी का भी
संबंध ग्वालियर से है. वे ग्वालियर के शाही जाधव परिवार से हैं.
75 वर्षीय शुभांगिनी राजे बड़ौदा के खेड़ा संसदीय क्षेत्र से दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं, 1996 में निर्दलीय और 2004 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा था. हालांकि दोनों ही बार वह चुनाव हार गईं थीं. शुभांगिनी के पति रणजीत सिंह गायकवाड़ कांग्रेस नेता रहे और वे 1980 से 89 तक बड़ौदा से कांग्रेस सांसद रहे थे.
दूसरी ओर बीजेपी ने नरेंद्र सिंह तोमर को भी सिंधिया मामले की जिम्मेदारी
सौंपी थी. कभी राजमाता विजया राजे सिंधिया के विश्वस्त रहे तोमर के
ज्योतिरादित्य सिंधिया परिवार से भी काफी माने जाते हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री
अमित शाह के विश्वस्त माने जाने वाले तोमर को कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश
में बीजेपी की रणनीति की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. तोमर मध्य प्रदेश में
बीजेपी अध्यक्ष पद से लेकर प्रदेश में कैबिनेट स्तर के मंत्री तक की
जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
बता दें कि सिंधिया के 22 समर्थक विधायकों ने भी इस्तीफा दिया है, जिसके बाद कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई तय मानी जा रही है. हालांकि, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के दिग्गजों ने सरकार बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.