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'सरेंडर करो या मरो', अफगानियों के घर धमकी भरे खत भेज रहा तालिबान

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 31 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST
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अमेरिका(America) की अफगानिस्तान(Afghanistan) से वापसी हो चुकी है और तालिबान(Taliban) ने अपना भयानक चेहरा उजागर करना शुरु कर दिया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में किए गए अपने सभी वादों को तालिबान अब झुठलाता नजर आ रहा है. ब्रिटिश और अमेरिकन सेना(American army) की मदद करने वाले अफगानी नागरिकों(Afghanistan people) को गद्दार बताकर उन्हें रात के वक्त खतरनाक धमकियों से भरे खत भेजे जा रहे हैं.
 

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इन लोगों को पत्रों के सहारे कहा जा रहा है कि इन्हें तालिबान की कोर्ट में हाजिरी लगानी होगी. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा. इसके चलते कई स्थानीय अफगानियों पर मौत का खतरा मंडरा रहा है और ये लोग अपनी जान बचाने की तमाम कोशिशों में लगे हुए हैं.

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ऐसा ही एक लेटर 34 साल के नाज को मिला है. इस शख्स की कंस्ट्रक्शन कंपनी ब्रिटिश सेना की हेलमेंड में सड़कें बनाने में मदद करती थी. इसके अलावा नाज की कंपनी ने कैम्प बेस्टियन का रन-वे बनवाने में भी मदद की थी. नाज ने अफगान रि-लोकेशन प्रोग्राम के तहत ब्रिटेन में शरण पाने के लिए आवेदन भी दिया था लेकिन ये रिजेक्ट हो गया.

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डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, नाज ने कहा कि ये तालिबान का आधिकारिक पत्र है और इस पर स्टैंप भी लगा हुआ है. ये एक साफ मैसेज है कि वे मुझे मारना चाहते हैं. अगर मैं तालिबान की कोर्ट में जाता हूं तो मुझे कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाएगी और ना जाने पर वे मुझे मार डालेंगे.

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उन्होंने आगे कहा कि यही कारण है कि मैं छिपता-छिपाता फिर रहा हूं और यहां से निकलने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन मुझे मदद चाहिए. इसके अलावा ब्रिटिश मिलिट्री के लिए ट्रांसलेटर का काम करने वाले शख्स को पत्र के सहारे कहा गया कि वो गद्दारों का जासूस है और उसे तालिबान की कोर्ट में आना होगा वर्ना वो जिंदा नहीं बचेगा. 

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इसके अलावा उसी रात को तीसरा खत एक इंटरप्रेटर के भाई को मिला था. इस पत्र में भी चेतावनी थी कि उसे मार दिया जाएगा क्योंकि उसने ब्रिटेन आर्मी के लिए इंटरप्रेटर का काम करने वाले भाई को अपने घर में रखा हुआ था. वही रात का चौथा लेटर एक शख्स के जूते में मिला जब वो मस्जिद के लिए घर से निकल रहा था. ये शख्स भी अमेरिकी आर्मी के लिए ट्रांसलेशन का काम करता था. 

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47 साल के शीर ने भी हेमलेंड में काम किया था और उन्हें रिलोकेशन के चलते ब्रिटेन जाने का मौका मिल गया था लेकिन काबुल एयरपोर्ट की भीड़ से वे पार नहीं पा सके और अफगानिस्तान ही रह गए. उन्होंने कहा- मेरी बेटी को ये खत मिला था जिसमें एक कील भी थी. मुझे इस्लामिक कोर्ट में बुलाया गया है या फिर शिकारियों की तरह वे मेरे पीछे पड़ जाएंगे और मुझे मार देंगे. 

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गौरतलब है कि ये लेटर्स अफगानिस्तान में लोगों को डराने का पारंपरिक तरीका है. इसी तरीके का इस्तेमाल मुजाहिदीन फाइटर्स अफगानिस्तान में सोवियत के कब्जे के खिलाफ भी किया करते थे. इसके बाद तालिबान ने इस तरीके को अपनाया और अपने पहले शासनकाल में इसे खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में धमकाने के लिए इस्तेमाल किया गया. (सभी फोटो क्रेडिट: Getty images)

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