म्यांमार में सत्ता पर सेना के कब्जा करने के बाद से ही वहां के आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. शनिवार को सैन्य तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर म्यांमार की सेना ने कार्रवाई करते हुए गोलीबारी की जिसमें 114 लोग मारे गए. जब इससे भी म्यांमार की सेना का मन नहीं भरा तो दमन करने के लिए अब प्रदर्शकारियों पर एयरस्ट्राइक (हवाई हमला) कर दिया. इसके बाद म्यांमार के दक्षिणपूर्वी करेन राज्य के लगभग 3,000 ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए थाइलैंड भागने पर मजबूर हो गए.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने स्थानीय मीडिया के हवाले से बताया है कि म्यांमार के दक्षिणपूर्वी करेन राज्य के लगभग 3,000 ग्रामीणों को जातीय सशस्त्र समूह द्वारा रखे गए सुरक्षित जगह पर म्यांमार की सेना ने हवाई हमला किया. करेन महिला संगठन ने कहा कि म्यांमार की सेना ने मुतारा जिले में सीमा के पास के पांच क्षेत्रों पर हवाई हमले किए, जिनमें एक विस्थापन शिविर भी शामिल है.
समूह की ओर से एक बयान में कहा गया, "फिलहाल, ग्रामीण जंगल में छिप रहे हैं, क्योंकि शरण लेने के लिए 3,000 से अधिक लोग सीमा पार कर थाईलैंड जा चुके हैं." थाई पीबीएस ने बताया कि थाईलैंड में 3,000 लोग म्यांमार से पहुंचे थे. थाई अधिकारियों ने इस पर किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया.
लोगों के लिए राहत का काम करने वाले संगठन, फ्री बर्मा रेंजर्स के संस्थापक डेविड यूबैंक ने कहा कि करेन नेशनल यूनियन के कम से कम दो सैनिक इस हमले में मारे गए हैं. यूबैंक ने कहा, हवाई हमला रात में किया गया. रूस, चीन और अन्य देशों की मदद से बर्मा सेना की क्षमता बढ़ गई है और यह घातक है."
एक नागरिक समूह ने कहा, शनिवार को सेना के एक हवाई हमले में, केएनयू द्वारा नियंत्रित एक गांव में कम से कम तीन नागरिक मारे गए थे, मिलिशिया ने पहले कहा था कि उसने सीमा के पास एक सेना की चौकी को गिरा दिया, जिसमें 10 लोग मारे गए.
इस क्षेत्र में वर्षों से हवाई हमले लड़ाई का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. KNU ने 2015 में एक संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन 1 फरवरी को सेना ने आंग सान सू की की लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट कर दिया था जिसके बाद तनाव बढ़ गया है.