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न NASA को सुराग, न ISRO को भनक..शनमुगा ने ऐसे ढूंढा विक्रम

aajtak.in
  • 03 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST
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नासा ने भारत के चंद्रयान-2 म‍िशन के व‍िक्रम लैंडर के मलबे को चांद पर खोजा तो एक भारतीय नाम की चर्चा दुन‍ियाभर में हो रही है. वह नाम है 33 साल के शनमुगा सुब्रमण्यम, ज‍िन्होंने नासा द्वारा जारी क‍िए फोटो पर स्टडी कर नासा को यह बताया था क‍ि व‍िक्रम लैंडर कहां ग‍िरा?

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शनमुगा सुब्रमण्यम मैकेन‍िकल इंजीन‍ियर हैं जो चेन्नई की एक आइटी फर्म में आर्किटेक्ट का काम कर रहे हैं और एक ऐप डेवलपर भी हैं. शनमुगा, मदुरै के रहने वाले हैं लेक‍िन 12 साल पहले वह चेन्नई आकर रहने लगे.

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अपने कॉलेज के द‍िनों में वह एक बार त‍िरुवंनतपुरम में इसरो के रॉकेट लॉन्च सेंटर गए थे जहां उन्होंने रॉकेट की लॉन्च‍िंग देखी थी. तभी से उनके मन में स्पेस को लेकर रोमांच रहा है. वह हमेशा रॉकेट और स्पेस टेक्नोलॉजी में इंटरेस्टेड रहे हैं. 

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चांद पर ग‍िरे व‍िक्रम लैंडर को ढूंढने के ल‍िए शनमुगा रोज 4 घंटे सर्चिंग करते थे. उन्हें तब बहुत खुशी म‍िली जब उन्हें नासा द्वारा जारी क‍िए गए फोटो में चांद की सतह पर सफेद डॉट दिखा.

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बता दें क‍ि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है कि उसके लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के मलबे को ढूंढ़ लिया है.

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NASA के दावे के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा उसकी क्रैश साइट से 750 मीटर दूर जाकर मिला. NASA ने  सोमवार की रात करीब 1:30 बजे विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर जारी की और बताया कि उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े मिले हैं.

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इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम के बारे में सूचना देने की उम्मीद जताई थी, क्योंकि उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) उसी स्थान के ऊपर से गुजरने वाला था, जिस स्थान पर भारतीय लैंडर विक्रम के गिरने की संभावना जताई गई थी. नासा  ने इससे पहले कहा था कि उसका एलआरओ 17 सितंबर को विक्रम की लैंडिंग साइट से गुजरा था और उस क्षेत्र की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें ली थीं.

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बीते अक्टूबर महीने की शुरुआत में नासा के अंतरिक्ष यान द्वारा उतारे गए चित्रों में विक्रम के लैंडर के उतरने का स्थान नहीं दिखाई दिया था. जिसके बाद यह कहा गया था कि नासा भी विक्रम लैंडर का पता नहीं लगा पाया. लेकिन सोमवार की रात नासा ने यह जानकारी दी कि उसे विक्रम लैंडर मिल गया है.

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भारत के भारी रॉकेट, जियो सिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क 3 ने 22 जुलाई को 978 करोड़ रुपये लागत का एक टेक्स्ट बुक स्टाइल का चंद्रयान-2 अंतरिक्ष में लॉन्च किया था. चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान में तीन हिस्से थे - ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान. 7 स‍ितंबर को इसरो का संपर्क व‍िक्रम लैंडर से टूट गया था. उसके बाद से यह पता लगाया जा रहा था क‍ि आख‍िर में व‍िक्रम लैंडर के साथ क्या हुआ था.

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