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क्या है भारत के गठजोड़ वाला QUAD, जिससे परेशान रहता है चीन

aajtak.in
  • 17 जून 2020,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST
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चीन ने पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है. लेकिन वह अगर किसी से परेशान होता है तो वह है क्वाड (QUAD). यानी क्वड्रीलेटरल सिक्टोरिटी डायलॉग. इसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं. इसका मकसद है कि एशिया-प्रशांत में शांति स्थापित हो. किसी तरह का युद्ध न हो. (फोटोः AFP)

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क्वाड की वजह से चीन परेशान रहता है. उसे लगता है कि भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान, चारों देश मिलकर उसके खिलाफ रणनीतिक साजिश रच रहे हैं. (फोटोः AFP)

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वहीं, क्वाड देशों के समूह का मकसद है कि एक स्वतंत्र, खुली और समावेशी क्षेत्रीय वास्तुकला का आदान-प्रदान हो. नेविगेशन की स्वतंत्रता हो. ओवर-फ्लाइट और आसियान के निर्माण को लेकर काम किया जाए. (फोटोः गेटी)

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चीन इसे इसे एक उभरता हुआ 'एशियाई नाटो' के रूप में देख रहा है. जबकि, भारत के संसद में अपने संबोधन में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने इसे ‘दो समुद्रों का संगम’ कहा है. भारतीय और प्रशांत महासागरों के संगम की बात करते हुए इसे एक 'व्यापक एशिया' कहा था. (फोटोः AFP)

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क्वाड के जरिए भारत में आर्थिक बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके जरिए प्रशांत महासागर, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फैले एक विशाल नेटवर्क को जापान और भारत के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. (फोटोः AFP)

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यह नेटवर्क खुले और पारदर्शी नेटवर्क के रूप में देखा जा रहा है. इसके जरिए लोगों, वस्तुओं, पूंजी और ज्ञान को स्वतंत्र रूप से प्रवाहित किया जाएगा. ताकि एक देश की चीजों से इस समूह के दूसरे सभी देशों को भी फायदा हो. (फोटोः गेटी)

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वहीं, चीन को लगता है कि क्वाड चीन के आसपास के समुद्र में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है. क्योंकि, क्वाड इंडो-पैसिफिक स्तर पर काम कर रहा है. यह भविष्य में चीन को निशाना बना सकता है.

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क्वाड को लेकर चीन को लगता है कि यह एक अमेरिकी साजिश है, जिसके जरिए चीन के बढ़ते अस्तित्व को रोकने की कोशिश की जा रही है.

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क्वाड को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के विरोध के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, चीन के विकासात्मक वित्त और कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

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इसलिए अब चीन ने आसियान देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया है. चीन चाहता है कि BRI पर सभी आसियान देश एकसाथ काम करें. 5G सहित चीन-आसियान डिजिटल सहयोग को स्थापित किया जाए. पूरी तरह से चीन-आसियान FTA को लागू करना.

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चीन की ओर से प्रस्तावित आचार संहिता के आधार पर क्षेत्रीय नियमों को अंतिम रूप दिया जाए.  संयुक्त समुद्री अभ्यास हों. एक अभ्यास अक्टूबर 2018 में चीन और आसियान के बीच हो चुका है.

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चीन ने परिवहन मार्गों को आगे बढ़ाने के लिए आसियान देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं. इनमें मौजूदा आर्थिक गलियारे, चीन-थाईलैंड रेलवे, चीन-लाओस रेलवे और जकार्ता-बांडुंग हाई-स्पीड रेलवे शामिल हैं.

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भारत कभी भी चीन के खिलाफ अमेरिका का साथ पूरी तरह से नहीं देता. न ही उसे उसकी मदद चाहिए होती है. न ही वह यह चाहता है कि चीन के खिलाफ अमेरिका के साथ उसका लंबा गठबंधन हो.

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चीन भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत को मिलने वाली क्वाड प्रक्रिया के फायदों से चिंतित है. वहीं, अब आगे बहुत कुछ चीन की कार्रवाइयों, क्षमताओं और इरादों पर निर्भर करेगा.

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चीन क्वाड को लेकर हमेशा परेशान रहता है. भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों का उपयोग करके चीन यह सुनिश्चित करना चाहेगा कि क्वाड कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे, क्षमता निर्माण, एचएडीआर, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और सुरक्षा पर केंद्रित वैश्विक सहयोग प्रणाली से आगे नहीं बढ़ेगा. (फोटोः AFP)

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