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गलवान में इसलिए भारत की जमीन पर कब्जा करना चाहता है चीन

aajtak.in
  • 20 जून 2020,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST
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मई महीने के शुरुआती हफ्तों से ही लद्दाख के गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीनी सेना के बीच तनाव की शुरुआती हो गई थी.  जून में यह तनाव चरम पर पहुंच गया और हिंसक झड़प में जहां भारत के 20 वीर जवान शहीद हो गए वहीं चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिरकार गलवान घाटी में चीन भारत की जमीन पर क्यों कब्जा करना चाहता है.

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दरअसल, अक्साई चिन पर हमेशा से भारत का दावा रहा है लेकिन इस इलाके में चीन ने कब्जा कर रखा है. यह पठारी क्षेत्र है. इस इलाके में चीन सामरिक तौर पर अपनी मौजूदगी और मजबूत करना चाहता है इसलिए वो इसके आगे के हिस्सों पर भी अपना कब्जा चाहता है. गलवान घाटी के जिस इलाके को लेकर इन दिनों विवाद चल रहा है वो भारत के उत्तरी इलाके में सुदूर, बेहद संकरे और कटीले पहाड़ों और तेजी से बहती नदियों के बीच स्थित है, यह क्षेत्र लगभग 14,000 फीट (4,250 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है और तापमान अक्सर शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे ही रहता है.

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सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा फेस-ऑफ का सबसे प्रमुख कारण भारत का ट्रांसपोर्ट लिंक को बेहतर बनाने के लिए सड़कों और हवाई अड्डों का निर्माण करना है. चीन इस इलाके में भारत की मजबूत स्थिति से पूरी तरह बौखलाया हुआ है.

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बता दें कि एलएसी के किनारे चीन ने पहले ही मजबूत बुनियादी ढांचा बना लिया है. ऐसे में भारत के सीमाई क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर चीन बुरी तरह भड़का हुआ है. चीन को लग रहा है कि इससे इन दुर्गम इलाकों में भी भारत भारी पड़ सकता है. भारत की इस तैयारी से दोनों देशों के बीच जो सैन्य ताकतों का फासला है वो भी कम हो सकता है.

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बता दें दोनों देशों के बीच 1993 में हुए एक समझौते के मुताबिक वास्तविक सीमा रेखा (LAC) पर कोई भी पक्ष बल का प्रयोग नहीं करेगा. लेकिन चीन ने अपनी चालबाजी के जरिए बिना एक भी गोली चलाए तनाव को शीर्ष स्तर पर पहुंचा दिया.

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इस क्षेत्र में दोनों देश के बीच 4,056 किमी (2,520 मील) लंबी सीमा रेखा है. हिमालय के इस क्षेत्र में चीन भारत के विशाल भूखंड पर अपना दावा करता रहा है. जब इसी घुसपैठ को सेना रोकती है और उन्हें पीछे जाने पर मजबूर करती है तो एलएसी पर तनाव बढ़ जाता है. इस इलाके में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद भारत के पूर्व ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासकों द्वारा किए गए सीमांकन के बाद से ही शुरू हो गया था.

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गलवान में चीन की आपत्ति के बाद भी भारत ने अपनी तरफ एक सड़क का निर्माण बीते साल अक्टूबर में ही पूरा कर लिया था. बता दें कि इससे पहले साल 1967 में भारत और चीनी सेना के बीच ऐसी ही झड़प हो चुकी है जिसमें सैकड़ों चीनी सैनिक मारे गए थे. भारत के भी कई जवान शहीद हो गए थे.

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