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कहां है दुनिया की पहली कोरोना वायरस मरीज? एक साल बाद भी नहीं आई सामने

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 18 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST
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चीन की महिला वैज्ञानिक जिसे दुनिया का पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज कहा जा रहा था, वो इस महामारी के एक साल बाद भी गायब है और काफी जांच-पड़ताल और दबाव के बीच भी चीन इस महिला को सामने लाने में नाकाम रहा है. वायरस एक्सपर्ट ह्युांग येनलिंग का नाम सबसे पहले फरवरी 2020 में चर्चा में आया था.  (फोटो साभार: @BonicMichael /Twitter)

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वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी में एक रिसर्चर के तौर पर काम करने वाली ह्युांग येनलिंग को दुनिया का पहला कोरोना वायरस मरीज बताया गया था. ह्युांग को फरवरी 2020 में कई ऑनलाइन रिपोर्ट्स में 'पेशेंट जीरो' कहा गया, ये वो समय था जब इस वायरस ने अपना हाहाकार चीन में मचाना शुरू किया था. दावा है कि कोरोना वायरस को लेकर आधिकारिक जानकारी सामने आने से पहले ही ये महिला कोरोना पॉजिटिव हो चुकी थीं. (फोटो साभार: @BonicMichael /Twitter)

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वहीं वुहान के प्रशासन और लैब एजेंट्स ने इस महिला की गुमशुदगी की रिपोर्ट्स को सिरे से नकार दिया था और इन रिपोर्ट्स को इंटरनेट से भी हटा दिया था. इन लोगों का दावा था कि ये महिला पूरी तरह से सुरक्षित है और इसने अपनी जॉब बदल ली है. चीन की एक न्यूज एजेंसी ने तो ये भी कहा था कि उन्होंने इस महिला की नई कंपनी के लोगों से भी बात की है. (फोटो साभार: वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट) 

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द मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, चूंकि चीन अब तक इस महिला को सामने लाने में कामयाब नहीं हो पाया है, ऐसे में कई थ्योरी सामने आ रही हैं. इन थ्योरीज के मुताबिक या तो इस महिला को मार गिराया गया है या फिर इसे बंदी बनाकर रखा गया है ताकि ये कोरोना वायरस महामारी को लेकर इस संस्थान के रोल के बारे में दुनिया को ना बता सके. (फोटो साभार: वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट) 

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हालांकि कुछ समय पहले ही वीचैट मैसेजिंग सर्विस पर दावा किया गया था कि इस वैज्ञानिक ने अपने दोस्तों को मैसेज भेजा है. इसमें लिखा था- 'मेरे टीचर्स और स्टूडेंट्स, कब से आप लोगों से बात नहीं हुई है. मैं हुआंग यानलिंग हूं और मैं जिंदा हूं. अगर आपको कोरोना अफवाह से जुड़ा कोई ईमेल आता है तो प्लीज आप जवाब में कहना कि ये सच नहीं है.'  लेकिन इसके बाद से ही ये महिला सोशल मीडिया से गायब है और संस्थान की वेबसाइट पर भी इस महिला के बारे में कुछ लिखा नहीं गया है 

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ऐसा भी दावा किया जा रहा है कि कोरोना महामारी और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी के बीच कोई ना कोई कनेक्शन है. इस संस्थान में जूनोटिक चमगादड़ बीमारियों को लेकर रिसर्च होती है. जूनोटिक बीमारी यानी वो बीमारियां जो जानवरों से इंसानों में और इंसानों से जानवरों में फैलती है. कई ऐसी थ्योरी भी हैं कि इसी संस्थान से ही कोरोना वायरस महामारी फैली थी.

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट का कहना है कि चीन का प्रशासन वुहान के रिसर्चर्स को इंटरव्यू करने से रोक रहा है. चीनी प्रशासन उन लोगों से भी बात नहीं करने दे रहा है जो लोग साल 2019 में इस वायरस से सबसे पहले पॉजिटिव हुए थे. चीन लगातार इस वायरस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां छिपा रहा है. इस बीच डब्ल्यूएचओ की टीम भी तमाम गतिरोध के बावजूद वुहान शहर में कोरोना वायरस की जांच के लिए पहुंच चुकी है.

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