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रघुराम राजन का रोडमैप, 10 प्वाइंट में बताया कैसे दौड़ेगी इकोनॉमी

aajtak.in/अमित कुमार दुबे
  • 10 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:15 AM IST
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यह सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 में कार्यभार संभालते वक्त कई समस्याएं विरासत में मिलीं. बड़ी संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं भूमि अधिग्रहण की कठिनाइयों, कोयले या गैस जैसे इनपुट की कमी या सरकारी मंजूरी में लेट-लतीफी के कारण ठप हो गईं. ये कहना पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का है.  इंडिया टुड पत्रिका में राजन का एक लेख छपा है. जिसमें उन्होंने बताया है कि आर्थिक बदहाली से निकालने के लिए भारत को क्या करना चाहिए.

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1. भूमि अधिग्रहण आसान हो

जमीन की मैपिंग और मिल्कियत तय करने की प्रक्रिया पूरी करें. खासकर सबसे पिछड़े राज्यों में यह कदम उठाने की जरूरत है. जमीन के बंटवारे और मिल्कियत में बदलाव की पारदर्शी प्रक्रिया लाएं. जबरन भूमि अधिग्रहण को अपवाद बनाएं, अपवाद मामलों में भूमि अधिग्रहण को आसान बनाएं जबकि विक्रेता के हितों की रक्षा करें.

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2. श्रम करारों को नया स्वरूप दें

श्रम करारों को लचीला बनाएं, एक फौरी करार के लिए कानून बदलें, जिसमें कामगार को नौकरी की समय अवधि के साथ अधिकार मिलें, लेकिन उन्हें स्थाई न करना पड़े. मौजूदा स्थाई कर्मचारियों की रक्षा करें.

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3. निवेश

कराधान और नियामक प्रक्रिया को स्थाई बनाएं, ताकि बदलाव का अनुमान लगाना आसान हो. प्रस्तावित बदलावों पर बहस होने दें और उद्योग को अनुकूल बनने का मौका दें. एक स्वतंत्र आर्थिक निगरानी एजेंसी बनाएं, ताकि निवेशकों को भरोसा हो कि सरकार का दखल नहीं देगी. राहत के लिए अप्रशिक्षित न्यायपालिका में जाने से बचें.

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4. विनिवेश

सिर्फ संसाधन जुटाने के लिए विनिवेश कतई न करें. स्थापित उद्योग घरानों को बेचने के बचें. ताकि आर्थिक ताकत कुछ हाथों में न सिमटे.

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5. विकेंद्रीकरण

मंत्रियों को अधिकार दें, राज्यों को साथ लें, 15वें वित्त आयोग की शर्तों में संशोधन करके शुरुआत करें, कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी में कटौती न करें.

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6. रियल एस्टेट

अधूरी पड़ी परियोजना वाले डेवलपरों के लिए फास्ट ट्रैक दिवालिया प्रक्रिया होनी चाहिए. दिवालिया डेवलपरों को परियोजना पूरी करने के लिए सूपर कर्ज का प्रावधान करना चाहिए.

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7. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां पर ध्यान देने की जरूरत
अच्छे पूंजीकरण वाले एनबीएफसी को क्लीन चिट दें, कम पूंजी वाले एनबीएफसी को कड़ी शर्तों के साथ सरकार फंड उपलब्ध कराए.

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8. बिजली

बिजली का उचित दाम और पैमाना तय करें. बिजली वितरकों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दें.

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9. दूरसंचार

सभी कंपनियों के लिए नीति एकसमान हो. इस सेक्टर में भी प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है.

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10. कृषि

बीज, तकनीक, बिजली, कर्ज और बीमा वगैरह की आसान उपलब्धता आश्वस्त करें. जमीन पट्टे पर देने और ट्रैक्टर जैसे संसाधनों के लिए सहकारी साझेदारी को इजाजत दें. किसानों को गोदामों, ग्रामीण उद्योगों और अंतिम उपभोक्ताओं तक अधिक पहुंच का तरीका बनाएं. परिवहन और इंटरनेट की आसानी से उपलब्धता हो. कीमत और खरीद में अनुचित सरकारी दखलअंदाजी को खत्म करें. रकबे पर आधारित नकद ट्रांसफर के जरिये सब्सिडी खत्म करने का हर्जाना किसानों को दें. कुछ किसानों को कृषि छोड़ने को सक्षम बनाएं, ताकि बाकी बचे लोगों की माली हालत सुधरे.   

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