आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के नतीजे कल यानी गुरुवार को आने वाले हैं. ऐसी संभावना है कि केंद्रीय बैंक एक बार फिर रेपो रेट में कटौती कर सकता है.
रिजर्व बैंक अगर ऐसा करता है तो इस साल लगातार छठी बार रेपो रेट में कटौती होगी. लेकिन आरबीआई की ओर से लगातार रेपो रेट में कटौती के बाद भी आम लोगों की ईएमआई का बोझ कम नहीं हो रहा है. ऐसे में सवाल है कि आखिर क्यों बैंक आपको रेपो रेट कटौती का फायदा नहीं पहुंचा पा रहे हैं.
दरअसल, बैंकों ने अपने मार्जिन (मुनाफा) में बढ़ोतरी कर दी है. उदाहरण के लिए एसबीआई ने नए होम लोन पर अब अपना मार्जिन बढ़ा दिया है, जिसका सीधा असर आपके लोन पर हो रहा है और आपको रेपो रेट कटौती का फायदा नहीं मिल रहा.
SBI ने अपने मार्जिन को पहले लागू 2.25 फीसदी से बढ़ाकर 2.65 फीसदी कर दिया है. यहां बता दें कि किसी भी बैंक द्वारा लोन पर जो ब्याज दर लगाई जाती है उसमें मार्जिन भी शामिल होता है. हर बैंक अपने हिसाब से इसे घटा या बढ़ा सकते हैं. यही वजह है कि रेपो रेट 5.15 फीसदी होने के बावजूद ब्याज की दर 8 फीसदी से अधिक पर होती है.
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इसी आधार पर ग्राहकों को कर्ज मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने के बाद बैंकों पर ब्याज दर कम करने का दबाव बनता है.
बीते दिनों तो आरबीआई और सरकार की ओर से भी बैंकों से ब्याज दर कम करने की
अपील की गई है. यहां बता दें कि आरबीआई हर दो महीने पर होने वाली मौद्रिक
नीति की बैठक में इसकी समीक्षा करता है.