15 साल पहले 2004 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक नए निजी बैंक का ब्रांच खुला. इसका नाम Yes बैंक था. इस नाम ने लोगों को काफी आकर्षित किया. इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ ही सालों में Yes बैंक एक जाना पहचाना नाम बन गया. लेकिन आज यह बैंक अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.
यस बैंक पर कर्ज का अंबार है तो वहीं आरबीआई की पाबंदियां भी लग गई हैं. ताजा घटनाक्रम में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक के ग्राहकों के लिए 50 हजार रुपये निकासी की सीमा तय की है. मतलब ये कि अब यस बैंक के ग्राहक अगले 1 महीने तक सिर्फ 50 हजार रुपये ही अपने खाते से निकाल सकेंगे.
इसके अलावा यस बैंक के बोर्ड को भी भंग कर पूर्व एसबीआई सीएफओ प्रशांत कुमार को एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया गया है. बहरहाल, आइए जानते हैं कि बीते 15 साल में कैसे यस बैंक की शुरुआत कैसे हुई और आज ऐसी हालत क्यों हो गई है..
- 26 नवंबर 2008 को मुंबई आतंकी हमले में बैंक के प्रमोटर अशोक कपूर की मौत.
- दिसंबर 2009 में यस बैंक को 30,000 करोड़ की बैलेंसशीट के साथ सबसे तेज ग्रोथ का अवार्ड मिला.
-जून 2013 में बैंक ने देश के अलग-अलग राज्यों में 500 से अधिक ब्रांचों का विस्तार करने का फैसला लिया.
- मई 2014 में बैंक ने ग्लोबल क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के जरिए 500 मिलियन डॉलर जुटाए.
- साल 2018 में यस बैंक को सिक्योरिटीज बिजनेस के कस्टोडियन के लिए सेबी से
लाइसेंस मिला. इसके अलावा सेबी ने म्युचुअल फंड बिजनेस के लिए भी मंजूरी
दी.
- बीते साल तक बैंक के पास 21 हजार से अधिक कर्मचारी थे.
क्यों यस बैंक की हुई ये हालत?
साल 2018 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने
एनपीए और बैलेंसशीट में गड़बड़ी की आशंका की वजह से यस बैंक पर कार्रवाई
की. इस वजह से यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को पद से हटना पड़ा.
वहीं बैंक क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के जरिए उम्मीद के मुताबिक फंड जुटाने में कामयाब नहीं रहा. इस माहौल में दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां बैंक को निगेटिव मार्किंग देने लगी हैं. इसके अलावा यस बैंक के मैनेजमेंट में उठा-पटक का असर भी बैंक की सेहत पर पड़ा है.