दुनिया के दो बड़े देश अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. हाल ही में अमेरिका ने इराक-ईरान बॉर्डर के पास बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हवाई हमला किया है. इस हमले में ईरान के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी समेत 8 लोगों के मारे जा चुके हैं.
इस हमले के बाद ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने अमेरिका को गंभीर परिणाम
भुगतने की चेतावनी दी है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते तनाव से भारत भी
अछूता नहीं है. पहले से ही आर्थिक सुस्ती झेल रहे भारत के लिए ये तनाव एक
खतरे की घंटी है. वहीं आने वाले दिनों में आप पर भी इसका असर दिख सकता है.
अभी भारत की क्या है स्थिति...
अमेरिका और ईरान के तनाव ने भारत के लिए एक नया संकट खड़ा कर दिया है. वर्तमान में जीडीपी ग्रोथ रेट समेत अन्य आंकड़े बताते हैं कि भारत आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रहा है. आर्थिक सुस्ती के इस माहौल में खाने-पीने की चीजें महंगी हो रही हैं. प्याज की कीमतों में 100 से 150 फीसदी तक का इजाफा हो गया है तो वहीं अन्य सब्जियों की भी महंगाई नए रिकॉर्ड बना रही है.
इसी तरह पेट्रोल-डीजल, एलपीजी, रेल किराया समेत रोजमर्रा की अन्य कई चीजें
हैं जिनकी कीमतें बढ़ने से आम आदमी पर बोझ बढ़ा हुआ है.
इन हालातों में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपनी दिसंबर की मौद्रिक नीति बैठक में
दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 4.75-5.1 फीसदी कर दिया
है. मुख्य रूप से प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों की कीमतों में उछाल को
देखते हुए केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया है. इसका मतलब
होली तक लोगों को महंगाई से राहत नहीं मिलने वाली है.ऐसे में अमेरिका और ईरान के बीच का संकट भारत के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है.
भारत के लिए खतरे की घंटी
दरअसल, अमेरिका के एयरस्ट्राइक की वजह से कच्चे तेल की कीमतें 5 फीसदी तक बढ़ गई हैं. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आने से भारत का आयात बिल बढ़ेगा जो चालू खाते के घाटे को बढ़ाने का काम करेगा.
वहीं कच्चे तेल की वजह से भारत में ईंधन महंगा होगा. बाजार के जानकार
बताते हैं कि पेट्रोल में करीब 5 से 6 रुपये की तेजी आ सकती है. इसी तरह
डीजल और एलपीजी खरीदना भी महंगा हो सकता है. ईंधन की कीमत बढ़ने का मतलब ये
हुआ कि ढुलाई की लागत में इजाफा होगा और रोजमार्रा की चीजें महंगी होंगी.
रुपया कमजोर होगा
वैश्विक बजार में तनाव से रुपया भी टूटेगा. रुपये पर मार पड़ने का सबसे बड़ा असर आयात पर पड़ेगा. दरअसल, रुपये के कमजोर होने से आयात पर पहले के मुकाबले अधिक भुगतान करना पड़ेगा. इसके अलावा विदेश में घूमना-पढ़ना महंगा हो जाएगा. इससे पहले शुक्रवार को रुपया 42 पैसे कमजोर होकर 71.89 के स्तर पर बंद हुआ.
सोना-चांदी खरीदना मुश्किल होगा
अमेरिका और ईरान तनाव की वजह से सोना और चांदी खरीदना मुश्किल होगा. दरअसल, वैश्विक तनाव बढ़ने पर निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए सोने-चांदी का रुख करते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि सोने की डिमांड बढ़ जाती है. सोने की डिमांड बढ़ने की वजह से कीमत में इजाफा होता है.
मतलब ये कि शादी के सीजन में आपके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. बता दें कि शुक्रवार को सोना 752 रुपये उछलकर 40,652 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया. वहीं चांदी भी 960 रुपये की तेजी के साथ 48,870 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई.
निवेशकों के डूबेंगे पैसे
अमेरिका-ईरान के बीच तनाव बढ़ने से दुनिया भर के शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली. इसका असर भारत पर भी पड़ा और आगे भी गिरावट की आशंका बरकरार है. दरअसल, तनाव की वजह से निवेशक सतर्क हो गए हैं. ऐसे में बिकवाली बढ़ने की आशंका है.
मतलब ये कि लोग शेयर बेचकर निकल जाएंगे. शेयर बाजार में गिरावट का मतलब ये हुआ कि पहले से पैसे लगाए निवेशकों को नुकसान होगा. यह आर्थिक सुस्ती से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका होगा.
होम-ऑटो लोन नहीं होगा सस्ता
महंगाई और अन्य हालातों में आरबीआई द्वारा आने वाले मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं बचेगी. यानी सस्ते कर्ज का तोहफा नहीं मिलेगा. दरअसल, रेपो रेट कटौती से बैंकों पर सस्ती ब्याज दर पर होम या ऑटो लोन देने का दबाव बढ़ता है. बता दें कि फरवरी महीने में मौद्रिक समीक्षा बैठक होने वाली है. इससे पहले दिसंबर की मौद्रिक बैठक में रेपो रेट 5.15 फीसदी पर स्थिर था.