आज अक्षय तृतीया है. भारतीय परंपरा में आज के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से बाजारों में सन्नाटा पसरा है. अगर आप अक्षय तृतीया पर गोल्ड खरीदने की सोच रहे हैं तो ये जरूरी नहीं कि ज्वेलरी ही खरीदें. (Photo: File)
दरअसल, भारत में निवेश के लिए सोना एक भरोसेमंद विकल्प होता है. वर्षों से लोग अपनी बचत को सोने में निवेश करते हैं. आइए जानते हैं कि सोने में निवेश के अलग-अलग विकल्पों के बारे में. आप गोल्ड में चार तरीके से निवेश कर सकते हैं. (Photo: File)
आज की तारीख में डिजिटल तरीके से गोल्ड में निवेश सबसे बेहतर विकल्प है. जिसके जरिये आप बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं. इस कड़ी में पहला नाम सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का आता है. यह एक तरह का पेपर गोल्ड या डिजिटल गोल्ड होता है, जिसमें आपको एक सर्टिफिकेट दिया जाता है कि आप किस रेट पर सोने की कितनी मात्रा में निवेश कर रहे हैं. (Photo: File)
सॉवरेन गोल्ड बांड्स
साल 2015 से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश का विकल्प आया है. यह आरबीआई जारी करता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम एक ग्राम सोने की खरीदारी की जा सकती है. निवेशकों को ऑनलाइन या कैश से इसे खरीदना होता है और उसके बराबर मूल्य का सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड उन्हें जारी कर दिया जाता है. इसकी मैच्योरिटी पीरियड आठ साल की होती है. लेकिन पांच साल के बाद इसमें बाहर निकलने का विकल्प भी है. फिजिकली सोने की खरीदारी कम करने के लिए यह स्कीम लॉन्च की गई है. (Photo: File)
सॉवरेन गोल्ड बांड्स के फायदे
अगर फायदे की बात करें तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज भी मिलता है. गोल्ड बॉन्ड में न्यूनतम एक ग्राम सोना का निवेश किया जा सकता है और आम आदमी के लिए अधिकतम निवेश की सीमा चार किलोग्राम है, जबकि हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए चार किलोग्राम और ट्रस्ट के लिए यह सीमा 20 किलोग्राम है. पिछले कुछ सालों में लोगों का रुझान सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में तेजी से बढ़ा है. (Photo: File)
गोल्ड ईटीएफ
अगर आपको गोल्ड बॉन्ड में निवेश करना महंगा लग रहा है तो आप ऑनलाइन गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं. इसके लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए. गोल्ड ईटीएफ या म्यूचुअल फंड में निवेश करने का फायदा यह है कि आप इनकी बड़ी आसानी से ऑनलाइन खरीद-बिक्री कर सकते हैं. (Photo: File)
गोल्ड ETF एक इन्वेस्टमेंट फंड होता है जिसकी शेयर बाजार में एक्सचेंजों पर शेयरों की तरह ही खरीद-फरोख्त होती है. इलेट्रॉनिक फॉर्म में होने की वजह से ये सुरक्षित होते हैं. यह फिजिकल गोल्ड के मुकाबले ज्यादा लिक्विड होता है, यानी इसकी खरीद-फरोख्त आसान होती है. इसमें कम से कम मात्रा में आप सोने में निवेश कर सकते हैं और मेकिंग चार्ज जैसा नुकसान नहीं होता. इसमें आपको प्योरिटी को लेकर भी किसी तरह की चिंता नहीं होती. (Photo: File)
गोल्ड म्यूचुअल फंड
गोल्ड फंड एक तरह के म्यूचुअल फंड होते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वर्ण भंडारों में निवेश करते हैं. इसके द्वारा भी आप घर में फिजिकल गोल्ड रखने की झंझट से बचते हुए सोने में निवेश कर सकते हैं. ऐसे ज्यादातर फंड गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं. इसकी भी खरीद-फरोख्त आसान होती है. आप किसी बैंक में, किसी इनवेस्टमेंट एजेंट के पास जाकर या किसी म्यूचुअल फंड की वेबसाइट से ऑनलाइन इसकी खरीद कर सकते हैं. (Photo: File)
डिजिटल गोल्ड
सोने में निवेश के लिए डिजिटल गोल्ड भी एक जरिया है. कई बैंक, मोबाइल वॉलेट और ब्रोकरेज कंपनियां एमएमटीसी-पीएएमपी या सेफगोल्ड के साथ टाइअप कर अपने ऐप के जरिए गोल्ड की बिक्री करती हैं. इसके अलावा आप शेयर बाजार में कमोडिटी एक्सचेंज के तहत भी गोल्ड की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. (Photo: File)
फिजिकली गोल्ड
सबसे पुराना और आसान तरीका है, लोग निवेश के तौर पर सोने की ज्वेलरी या फिर सिक्के खरीदते हैं. आप किसी ज्वेलर्स के पास जाकर या फिर ऑलनाइन गोल्ड खरीद सकते हैं. कई कंपनियां घर तक ज्वेलरी पहुंचा देती हैं. ग्रामीण इलाकों में लोग आज भी सोने में निवेश के लिए ज्वेलरी ही चुनते हैं. (Photo: File)
फिजिकली गोल्ड के नुकसान
अगर आप निवेश के लिहाज से सोना खरीदना चाहते हैं तो डिजिटल गोल्ड में निवेश करना चाहिए. क्योंकि ज्वेलरी खरीदते वक्त मेकिंग चार्ज वसूला जाता है. और फिर जब आप कभी उसी ज्वेलरी को बेचने के लिए जाएंगे तो मेकिंग चार्ज माइनस कर दिया जाता है. जिससे ग्राहकों के लिए फिजिकली सोना खरीदना घाटे का सौदा साबित होता है. (Photo: File)