कोरोना वायरस के दौरान सोने में निवेश काफी तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह से सोना-चांदी के भावों में जबरदस्त उछाल देखा गया है. इस बीच दोनों ही कीमती धातुओं ने रिकॉर्ड उच्च स्तर को भी छुआ. सोने की खरीद-बिक्री से जुड़े कई अहम बातें हैं, जिसे हर किसी को जानना जरूरी है.
दरअसल, सोना अब सिर्फ परंपरा की वजह से ही नहीं, निवेश के लिहाज से ज्यादा खरीदा जाता है. यही वजह है कि सोने के भाव में उछाल देखने को मिल रहा है. पिछले महीनों 10 ग्राम का भाव 56 हजार रुपये को भी पार गया था. हालांकि, अब सोना रिकॉर्ड हाई से काफी सस्ता है. फिलहाल 50 हजार रुपये के आसपास भाव टिका है.
जब आप सोना खरीदते हैं तो कीमत के साथ-साथ टैक्स चुकाना होता है. लेकिन क्या आपको पता है जब कि आप सोना बेचने जाते हैं तो उस पर पर टैक्स लगता है. सोने को बेचते समय शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) या फिर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीली) टैक्स चुकाना होता है.
जब आप सोना खरीदते हैं तो उसपर 3 फीसदी का जीएसटी लगता है. लेकिन बेचते वक्त यह देखा जाता है कि ज्वेलरी आपके पास कितने वक्त से है, उस अवधि के हिसाब से उस पर टैक्स लागू होता है. सोने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स तब लगेगा, जब खरीद की तारीख से 3 साल के अंदर आप ज्वेलरी बेचते हैं.
यानी अगर ज्वेलरी को खरीदने की तारीख से 3 साल के अंदर बेचते हैं तो फिर नियम के मुताबिक एसटीसीजी चुकाना होता है. ज्वेलरी बेचने पर आपकी जितनी कमाई हुई, उस कमाई पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स कटेगा.
वहीं, तीन साल या उससे ज्यादा पुरानी ज्वेलरी बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ेगा. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के मुताबिक, टैक्स की दर 20.80 फीसदी होगी. यह व्यवस्था बजट में ही की गई थी कि लान्ग टर्म कैपिटल गेन पर 3 फीसदी से बढ़ाकर सेस 4 फीसदी कर दिया गया. टैक्स की दर में सेस शामिल है.