भारत ने ब्रिटेन की कंपनियों को बीमा क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया है, जबकि ब्रिटेन ने भारतीय कंपनियों के लंदन शेयर बाजार में सीधे सूचीबद्ध होने की पेशकश की.
इस साल भारत ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया है. इसके अलावा सरकार ने कंपनियों को घरेलू बाजार में सूचीबद्ध हुए बिना विदेशों में सूचीबद्ध होने की अनुमति दी.
वित्त मंत्रालय के मुताबिक दोनों देशों के बीच 9 जुलाई को ऑनलाइन माध्यम से भारत-ब्रिटेन वित्तीय बाजार संवाद की पहली बैठक हुई. वित्तीय क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए अक्टूबर 2020 में इस संवाद की स्थापना हुई थी. (Photo: File)
बैठक में वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ ही स्वतंत्र नियामक एजेंसियों ने भी हिस्सा लिया, जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण, भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण और बैंक ऑफ इंग्लैंड शामिल थे. इस दौरान बैंकिंग और भुगतान, बीमा और पूंजी बाजार से जुड़े मुद्दों पर दोनों देशों ने खासतौर से विमर्श किया. (Photo: File)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के अपने बजट भाषण में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी को निजीकरण का ऐलान किया था. सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग ने विनिवेश पर बने सचिवों के कोर ग्रुप को यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के निजीकरण का सुझाव दिया है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के निजीकरण की तैयारी शुरू कर दी है. इसको लेकर जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (नेशनलाइजेशन) एक्ट (GIBNA) में बदलाव पर काम चल रहा है. कानून में बदलाव वाला यह बिल मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जा सकता है.
बता दें, वित्त मंत्री ने बजट में 2021-22 के दौरान विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है. यह राशि पब्लिक सेक्टर की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों की हिस्सेदारी बेचकर जुटाई जाएगी.