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अब इनवेस्टमेंट दुरुस्त करने का टाइम, जानें क्या है नया टैक्स स्लैब?

दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली ,
  • 08 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST
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अब इस वित्त वर्ष में फाइनल इनवेस्टमेंट करने के लिए 31 मार्च तक का ही समय है. पिछले साल वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स से जुड़े कई प्रस्तावों में बड़ा बदलाव किया था. एक नया टैक्स स्लैब चुनने का विकल्प दिया गया. ये प्रस्ताव अब मौजूदा वित्त वर्ष और अगले साल के आकलन वर्ष के लिए लागू होंगे. इसी के आधार पर अब सभी नौकरीपेशा लोगों को 31 मार्च से पहले अपने निवेश को दुरुस्त करना है. इन प्रस्तावों के बारे में अब भी कोई भ्रम अगर आपके मन में है तो यहां हम उसे दूर कर देते हैं. 

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इन प्रस्तावों के बारे में अब भी कोई भ्रम अगर आपके मन में है तो यहां हम उसे दूर कर देते हैं. पिछले साल जब ये टैक्स प्रस्ताव आए तो सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन लोगों को इस बात को लेकर था कि नया टैक्स स्लैब चुनना बेहतर है या पुराना? क्या अब डिडक्शन का लाभ मिलेगा या नहीं? अगर नया सिस्टम अपना लिया तो पुराने में वापस जा सकते हैं या नहीं?

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क्या पुराने में लौट सकते हैं: टैक्स मामलों के एक्सपर्ट बलवंत जैन बताते हैं, 'जी हां, किसी व्यक्ति ने इस वित्त वर्ष के लिए नया टैक्स स्लैब चुन लिया है और फिर उसे लगता है कि उसके लिए पिछला टैक्स स्लैब चुनना ही बेहतर है तो वह फिर से वापस पुराने स्लैब में जा सकता है. लेकिन इसमें शर्त यह है कि ऐसे व्यक्ति की नौकरी के अलावा बिजनेस आदि की कोई आय नहीं होनी चाहिए. लेकिन अभी नहीं, जब आप इस वित्त वर्ष के लिए अगले एसेसमेंट ईयर में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करेंगे उस समय आपको विकल्प मिलेगा. यानी अगर इस वित्त वर्ष के लिए आपने अपने एचआर से नया या पुराना टैक्स स्लैब चुनने का विकल्प दे दिया है, तो भी आप इसमें बदलाव कर अपने पसंद का विकल्प चुन सकते हैं.' 

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नया या पुराना कौन सा बेहतर: एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर किसी साल किसी व्यक्ति का होम लोन या अन्य निवेश है तो उसका पुराने टैक्स सिस्टम में रहना बेहतर है. अगर किसी साल उसे लगता है कि उस साल उसका होम लोन या कोई अन्य प्रमुख निवेश नहीं है, तो वह नए स्लैब को अपना सकता है. लेकिन यह ध्यान रहे कि नए टैक्स स्लैब में लगभग सभी प्रमुख डिडक्शन खत्म कर दिए गए हैं. 

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सरकार कुल मिलाकर सौ से ज्यादा रियायतें देती है. लेकिन नई टैक्स स्लैब का लाभ लेने पर आपको टैक्स में मिलने वाली करीब 70 रियायतों को छोड़ना पड़ेगा. इनमें यात्रा भत्ता (एलटीए), मकान का किराया (एचआरए),  मनोरंजन भत्ता, सैलरीड क्लास को मिलने वाला 50,000 रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है.

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नए टैक्स सिस्टम में इनकम टैक्स के सेक्शन 80C, 80D, 24 के तहत मिलने वाली रियायतें भी खत्म कर दी गई हैं. आसान शब्दों में कहें तो 80C के तहत मिलने वाले बीमा, PPF, NSC, यूलिप, ट्यूशन फीस, म्यूचुअल फंड ELSS, पेंशन फंड, होम लोन के मूलधन, बैंकों में टर्म डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस में 5 साल के डिपॉजिट और सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश करके जो टैक्स छूट का फायदा लेते थे, वह नई टैक्स दरों पर नहीं मिलेगी. इसके अलावा 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस पर भी टैक्स छूट छोड़नी होगी. (फाइल फोटो)

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सिर्फ ये रियायतें बची हैं: नई टैक्स व्यवस्था में फिलहाल ये गिनी-चुनी रियायतें मिलती रहेंगी जैसे- डेथ-कम रिटायरमेंट बेनेफिट, पेंशन, रिटायरमेंट पर छुट्टियों के बदले कैश, 5 लाख रुपये तक वीआरएस अमाउंट, ईपीएफ फंड निकासी, शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप पर मिली धनराशि, सार्वजनिक हित में किए गए किसी कार्य के लिए सम्मान के तौर पर मिली धनराशि, नेशनल पेंशन स्कीम के तहत छोटी अवधि वाली निकासी और मैच्योरिटी अमाउंट. 
 

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नई स्कीम क्या फायदेमंद है: आमतौर पर कहें तो नई स्कीम सालाना 13 लाख रुपये से कम सैलरी वालों के लिए फायदेमंद नहीं है. असल में वेतनभोगी लोगों को अभी 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता ही है, इसके अलावा उन्हें एलटीए और एचआरए भी मिलता है. अगर उन्होंने नई व्यवस्था अपनाई तो उन्हें पीएफ में अपने योगदान, बच्चों के ट्यूशन फीस, बीमा प्रीमियम, होम लोन आदि पर मिलने वाला लाभ भी नहीं मिलेगा. इसलिए जानकार कहते हैं कि नौकरीपेशा के लिए नया स्लैब सिस्टम उपयुक्त नहीं है.

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