अक्सर हम अपने ऑफिस के काम में इतने मश़गूल हो जाते हैं कि अपनी निजी जिंदगी को समय देना भूल जाते हैं. लेकिन दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां के लोग हफ्ते में 4 दिन ऑफिस जाते हैं और बाकी दिन अपने परिवार या दोस्तों के साथ बिताते हैं. आइए जानते हैं....
लोगों के जीवन से तनाव कम करने के लिए अब अक्सर काम के घंटे कम करने की बात की जाती है. लेकिन एक देश ऐसा है जो इस दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है. Iceland लोगों के काम के घंटे कम करने को लेकर 2015 से एक एक्सपेरिमेंट कर रहा है.
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Iceland ने 2015 में 2,500 से ज्यादा एम्प्लॉइज के साथ हफ्ते में 4 दिन काम करने का एक्सपेरिमेंट शुरू किया था. इसे दो फेज में पूरा किया गया. पहले फेज में ये ट्रायल 2015 से 2019 के बीच The Reykjavik City Trial के तौर पर चला और दूसरे फेज में 2017 से 2021 के बीच The Icelandic Government Trial के रूप में हुआ. क्या परिणाम निकला इसका? (Photo : Getty)
Iceland सरकार देखना चाहती थी कि काम के घंटे कम करने से क्या काम पर भी असर पड़ता है. सरकार ने पाया कि इस ट्रायल से लोगों की प्रोडक्टिविटी या तो पहले जैसी रही या कुछ मामलों में इसमें सुधार देखा गया. मतलब की काम के घंटे कम करने से काम कम नहीं हुआ. ये बदलाव हर तरह के वर्कप्लेस में महसूस किया गया. इस तरह ट्रायल के नतीजे काफी पॉजिटिव रहे.
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ट्रायल के पॉजिटिव परिणामों के Iceland की ट्रेड यूनियन्स और उनकी कन्फेडेरेशन लोगों के काम के घंटे कम कराने में सफल रही हैं. अब देश की लगभग 86% कामकाजी आबादी के पास कम देर काम करने का अधिकार है. बाकी इस ट्रायल के लोगों की निजी जिंदगी में भी कई फायदे हुए हैं.
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Iceland की सरकार ने देखा कि इस एक्सपेरिमेंट से उन वर्कप्लेस के लोगों का Work-Life Balance बेहतर हुआ, जहां काम के घंटे घटाए गए. वहीं काम और निजी जिंदगी के बीच होने वाले कॉन्फिल्क्ट्स में भी कमी आई. निजी जीवन में तनाव कम हुआ.
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इस एक्सपेरिमेंट का सबसे अधिक लाभ सिंगल पेरेंट्स को हुआ. काम के कम घंटों की वजह से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर पॉजिटिव इम्पैक्ट पड़ा और लाइफ से निगेटिविटी कम हुई. बच्चों के साथ समय बिताने को भी मिला.
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इस ट्रायल ने महिलाओं को विशेष राहत दी. घर के कामों में पुरुषों की भागीदारी बढ़ी. खासकर के साफ-सफाई और खाना पकाने में. वहीं सभी लोगों को शॉपिंग, क्लीनिंग इत्यादि के लिए भी ज्यादा वक्त मिल सका.
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