पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) अपने बुरे दौर से गुजर रही है. बढ़ते कर्ज और घटते विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves)...बढ़ती महंगाई (Inflation) और घटती जीडीपी ग्रोथ...बीते एक साल में पाक का हाल बेहाल हो गया है. देश में विकराल होते आर्थिक संकट (Financial Crisis) का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान अमेरिका का अपना दूतावास तक बेचने को तैयार है. देश में रोजगार की कमी चरम पर है. बीते दिनों पुलिस भर्ती की महज 1,167 वैकेंसी के लिए 30 हजार कैंडिडेट पहुंचे थे, जिन्हें इस्लामाबाद के स्टेडियम में बैठाकर परीक्षा दिलाई गई थी.
सरकार खजाना बचाने को लेकर चिंतित
पिछले एक साल में Pakistan में बिगड़ते हालात पर गौर करें तो पहले देश में भयानक बाढ़ (Flood) ने तबाही मचाई और उसके बाद हर बीतते दिन के साथ सरकार की चिंता में इजाफा होता गया. अब तो पाकिस्तान की सरकार भी मान चुकी है कि देश में स्थिति गंभीर है. उच्च स्तर पर पहुंची महंगाई (Pak Inflation) के बीच बढ़ती ऊर्जा लागत (Power Cost) भी परेशानी का सबब बन चुकी है. सरकारी खजाने पर लगातार बढ़ते बोझ को कम करने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PM Shahbaz Sharif) की सरकार ने आनन-फानन में कई कदम भी उठाए हैं, तो कुछ चौंकाने वाले उपाय भी कर रही है.
Power Crisis से बढ़ी समस्या
सरकार के उठाए गए कदमों पर गौर करें तो बढ़ती ऊर्जा लागत को कम करने के लिए सरकार ने बाजारों को रात 8.30 बजे तक बंद करने का आदेश दे दिया है. मैरिज हॉल और मॉल्स के लिए ये समय सीमा 10 बजे तक सीमित की गई है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक पंखों और बल्बों को प्रोडक्शन जुलाई 2023 तक बंद कर दिया गया है. सरकारी कार्यालयों में खपत कम करने के लिए मीटिंग्स दिन की रोशनी में करने की सलाह दी गई है. सरकार का मानना है कि इन उपायों से लगभग 273 मिलियन डॉलर या 62 अरब पाकिस्तानी रुपये ऊर्जा आयात की बचत करेगा.
कर्ज उतारने को दूतावास का सौदा
कर्ज (Debt) के बोझ के तले दबे पाकिस्तान पर चौतरफा मार पड़ी है. एक तरफ वह आर्थिक संकट (Pakistan Financial Crisis) से जूझ रहा है, तो दूसरी तरफ अंदरूनी कलह से परेशान है. ऐसे में पाकिस्तान ने खुद को कर्ज से उबारने के लिए अमेरिका के वॉशिंगटन में स्थित अपने पुराने दूतावास की इमारत (Pakistan Embassy Building) को बेचने का फैसला किया है.
इमारत को बेचने के लिए उसे फॉरेन ऑफिस से मंजूरी भी मिल गई है. बता दें कि पाकिस्तान का यह दूतावास बीते 15 सालों से खाली पड़ा है. सूत्रों की मानें तो बेहद पॉश इलाके में मौजूद इस इमारत की कुल कीमत 50 से 60 लाख डॉलर है. पाकिस्तान ने अपनी खस्ता माली हालत को देखते हुए इसे बेचने का फैसला किया है. आइए 5 प्वाइंट में जानते हैं बदहाल पाकिस्तान का ताजा हाल...
1- महंगाई ने मचाया कोहराम
सरकार भले ही अपने स्तर पर कदम उठाती जा रही है, लेकिन पूर्ण आर्थिक पतन की ओर बढ़ते 220 मिलियन आबादी वाले पाकिस्तान को संभालना मुश्किल नजर आ रहा है. महंगाई दर (Pakistan Inflation) आसमान पर पहुंच गई है और मूलभूत सुविधाएं भी लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही हैं. महंगाई का आलम ये है कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) दिसंबर 2022 में बढ़कर 24.50 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है.
एक साल पहले दिसंबर 2021 में ये 12.28 फीसदी था, यानी अब बढ़कर दोगुना हो गया है. पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (PBS) के डाटा के मुताबिक, देश में Food Inflation साल-दर-साल 35.5 फीसदी, परिवहन की कीमतें 41.2 फीसदी और कपड़े व जूतों की कीमतों में 17.1 फीसदी बढ़ी हैं. पाकिस्तान में चिकन 650 रुपये प्रति किलो के दाम पर बिक रहा है. वहीं रोजमर्रा के जरूरी सामान खरीदना भी लोगों के बस से बाहर हो रहा है.
2- बाढ़ ने बिगाड़ी देश की सूरत
बीते साल 2022 में जून महीने से लेकर अक्टूबर महीने तक देश में विनाशकारी बाढ़ (Pakistan Flood) के प्रकोप ने पाकिस्तान में आर्थिक स्थिति बिगाड़ने में सबसे अहम भूमिका निभाई है. करीब चार महीने तक इससे हाल बेहाल रहा और अनुमानित करीब 33 मिलियन लोगों को इस बाढ़ ने प्रभावित किया. इसके कारण देश को करीब 30 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ा.
वास्तव में बाढ़ ने तेल के अलावा अन्य आयातित सामानों पर पाकिस्तान की निर्भरता में इजाफा करने का काम किया, जबकि देश के निर्यात में जोरदार गिरावट दर्ज की गई. PBS के मुताबि, दिसंबर 2022 में देश का व्यापार घाटा 2.8 अरब डॉलर से ज्यादा था, वहीं निर्यात 16 फीसदी से ज्यादा घटकर 2.3 अरब डॉलर रह गया.
3- गेहूं-बिजली की किल्लत
बाढ़ के बिगड़े हालातों का असर खाद्य संकट के रूप में भी दिखाई देने लगा है. पाकिस्तान में Pakistan में आटा, चीनी और घी के दामों में सालाना आधार पर 25 से 62 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिला है. डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि गेहूं संकट देश में चिंता का सबब बनता जा रहा है. गेहूं की किल्लत का अंदाजा लगाती एक रिपोर्ट की मानें तो इस्लामाबाद में रोजाना गेहूं की खपत 20 किलो के 38,000 बैग्स की है, लेकिन यहां संचालित 40 आटा मिलों से 21,000 बैग्स की आपूर्ति हो पा रही है. इसके अलावा पाकिस्तान में बिजली की मांग से करीब 7000 मेगावाट कम आपूर्ति की जा रही है.
4- रसोई गैस की आपूर्ति बाधित
आर्थिक संकट का सामना कर रहे Pakistan में लोगों को रसोई गैस की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. देश के कई राज्यों के शहर ऐसे हैं जहां लोग बिना एलपीजी (LPG) के ही जीवन गुजार रहे हैं. पाकिस्तान में गैस की किल्लत का उदाहरण बीते दिनों सोशल मीडिया पर देखने को मिला था. दरअसल, इस तरह के कई वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के निवासियों को प्लास्टिक की थैलियों और गुब्बारों में रसोई गैस भरकर ले जाते दिखाया गया है. इस तरह से लोग रसोई गैस की कमी के चलते इसका भंडारण कर रहे हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो देश में कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत (Pakistan LPG Price) 10,000 पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच चुकी है.
5- Currency में गिरावट-गरीबी में इजाफा
बीते एक साल में पाकिस्तान के बिगड़ते हालातों की तस्वीर देश की करेंसी की पतली होती हालत से भी साफ हो जाती है. अमेरिकी डॉलर (US Dollar) की तुलना में साल 2022 में पाकिस्तानी रुपये (Pakistan Rupee) में लगभग 30 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा देश का विदेशी मुद्रा भंडार बीते महीने 294 मिलियन डॉलर गिरकर 5.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है.
अक्टूबर 2022 में आई विश्व बैंक की रिपोर्ट पर गौर करें तो 2022 की बाढ़ के कारण पाकिस्तान की विकास दर में 5 फीसदी तक गिरावट देखने को मिल सकती है. द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए 20 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 165 खरब रुपये) के कर्ज के बाद गरीबी 2 से 4.5 फीसदी तक बढ़ जाएगी. पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय गरीबी सूचकांक (International Poverty Index) की लिस्ट में 116 देशों में से 92वें स्थान पर पहुंच चुका है.