प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM-FBY) के पांच साल पूरे हो गये हैं. पांच साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना के लाभार्थियों को बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘देश के अन्नदाताओं को प्रकृति के प्रकोप से सुरक्षा प्रदान करने वाली पीएम फसल बीमा योजना के आज 5 साल पूरे हो गए हैं. इस स्कीम के तहत नुकसान का कवरेज बढ़ने और जोखिम कम होने से करोड़ों किसानों को लाभ हुआ है. इसके सभी लाभार्थियों को मेरी बहुत-बहुत बधाई. (फाइल फोटो)
क्या है PM-FBY?
देश में कृषि फसलों को प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान पर बीमा सुरक्षा देने और किसानों का जोखिम कम करने के उद्देश्य से यह योजना लायी गयी. पूर्व की सभी फसल बीमा योजनाओं की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने यह योजना लागू की. इसमें प्रति हेक्टेयर फसल पर मिलने वाले बीमा कवर में बढ़ोतरी की गयी. किसानों के प्रीमियम को न्यूनतम करने के लिए बीमा प्रीमियम पर सब्सिडी का प्रावधान किया गया. इसके अलावा दावा निपटान इत्यादि के लिए भी कई पहलें की गयीं. (फोटो- Reuters)
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को पारदर्शी बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया गया. योजना को डिजिटल इंडिया मिशन के अनुरूप विकसित किया गया. किसानों के पंजीकरण से लेकर दावे निपटान तक की व्यवस्था ऑनलाइन की गयी. खरीफ 2017 से योजना का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया. (फोटो: Images Bazaar)
बीमा दावों के तेजी से निपटान के लिए योजना में ड्रोन एवं अन्य तकनीक के उपयोग को सुनिश्चित किया गया. इससे नुकसान का आकलन करने की व्यवस्था में तेजी आयी. स्थानीय जोखिम कवर के तहत खेतों का सर्वेक्षण आसान हुआ. (फाइल फोटो)
PM-FBY के तहत किसानों के लिए बीमा कवर का प्रीमियम न्यूनतम रखा गया. खरीफ की फसलों के लिए यह बीमित राशि के दो प्रतिशत और रबी की फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत के बराबर है. इसके अलावा दोनों फसली सीजन में वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए बीमित राशि के पांच प्रतिशत के बराबर है. बाकी प्रीमियम राशि का भुगतान सरकार सब्सिडी के तौर पर करती है. इसमें केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत है, जबकि पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए यह हिस्सेदारी क्रमश: 90 और 10 प्रतिशत की है. (फोटो-PTI)
PM-FBY में फसल की बुवाई के पहले से लेकर कटाई के बाद तक की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बीमा सुरक्षा प्रदान की गयी है. आपदा के चलते किसान के बुवाई नहीं कर पाने, ओलावृष्टि, भूस्खलन और जल भराव की स्थानीय आपदा मानने और कटाई के बाद खेत में 14 दिन तक फसल रहने के दौरान किसी तरह की आपदा आने पर भी बीमा सुरक्षा प्रदान की गयी है. (फाइल फोटो)
पीटीआई की खबर के मुताबिक योजना के तहत सालाना आधार पर करीब 5.5 करोड़ किसानों के आवेदन मिलते हैं. इसके तहत अब तक 90,000 करोड़ रुपये के दावों का निपटान किया जा चुका है. कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भी लगभग 70 लाख किसानों को लाभ हुआ. इस दौरान 8741.30 करोड़ रुपये के दावों की रकम सीधे लाभार्थियों के खाते में भेजी गयी.(फोटो-PTI)