सोमवार को दो छोटे सरकारी बैंकों के शेयरों में तूफानी तेजी दर्ज की गई. दोनों बैंकों के शेयरों में चंद मिनट के अंदर अपर सर्किट लग गए. इंडियन ओवरसीज बैंक के शेयर 20 फीसदी चढ़कर 23.60 रुपये पर बंद हुआ. जबकि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शेयर भी 20 फीसद बढ़कर 24.20 रुपये पर बंद हुआ. (Photo: File)
दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान ऐलान किया था कि IDBI बैंक के अलावा अगले वित्त वर्ष में 2 और सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा. अब खबर है कि सरकार ने निजीकरण के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) का चयन किया है. (Photo: File)
इन दोनों के बैंकों के निजीकरण की खबर को बाजार ने हाथोहाथ लिया है. जिससे इन बैंकों के शेयरों में अपर सर्किट लग गए. प्राइवेट होने वाले दोनों बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक की शेयर बाजार में मार्केट वैल्यू इनके शेयर प्राइस के मुताबिक 44,000 करोड़ रुपये है. जिसमें इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) का मार्केट कैप 31,641 करोड़ रुपये है. (Photo: File)
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन दोनों बैंको के निजीकरण के लिए केंद्र सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव के साथ कुछ अन्य कानून में बदलाव करेगी. साथ ही निजीकरण को लेकर RBI के साथ भी चर्चा होगी. निजीकरण के लिए नीति आयोग ने इन दोनों बैंकों के नाम की सिफारिश थी.
पिछले दिनों खबर आई थी कि सरकार शुरुआत में छोटे बैंकों के निजीकरण पर मुहर लगा सकती है. इससे ये पता चल जाएगा कि निजीकरण के दौरान किस तरह की समस्याएं आती हैं. छोटे बैंकों के निजीकरण में जोखिम थोड़ा कम होगा. इसलिए इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नाम सामने आ रहा है.
दरअसल, मोदी सरकार ने बहुत पहले ही साफ कर दिया था कि सरकारी बैंक की संख्या घटाई जाएगी. इसी कड़ी में पिछले साल 10 बैंकों के विलय कर 4 बैंक बनाए गए. जानकारों की मानें तो सरकार उन बैंकों से छुटकारा पाना चाहती हैं, जो लगातार घाटे में चल रहे हैं.
गौरतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इसका ऐलान किया था. 2020-21 के लिए सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश टारगेट रखा था, जो हासिल नहीं हो पाया था.
सरकार ने बजट में IDBI बैंक के अलावा दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की थी. अभी देश में 12 पब्लिक सेक्टर बैंक हैं. कुछ बैंकों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर बैंकों की आर्थिक सेहत खराब है, और मदद की स्थिति में नहीं है.