बेटी के भविष्य के लिए जमा योजनाओं में सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) की बहुत चर्चा होती है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पीपीएफ में भी निवेश कर बेटी के भविष्य के लिहाज से अच्छा फंड हासिल किया जा सकता है. सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) लॉन्ग टर्म के बचत के लिहाज से बहुत लोकप्रिय योजनाएं हैं. दोनों योजनाओं की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं. आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि किस योजना में निवेश करना बेहतर है. (फाइल फोटो: Getty Images)
क्या है सुकन्या समृद्धि योजना?
सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई) बेटियों के लिए केंद्र सरकार की एक छोटी बचत योजना है जिसे पीएम मोदी ने 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' स्कीम के तहत लॉन्च किया था. छोटी बचत स्कीम में सुकन्या सबसे बेहतर ब्याज दर वाली योजना है. सुकन्या समृद्धि योजना के तहत अकाउंट किसी पोस्ट ऑफिस या बैंक की अधिकृत शाखा में खोला जा सकता है. (फाइल फोटो)
क्या है पीपीएफ?
सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) खाता भारत सरकार द्वारा समर्थित लोकप्रिय लॉन्ग टर्म का निवेश विकल्प है जो आकर्षक ब्याज दर और कर से पूरी तरह छूट प्राप्त रिटर्न के साथ निवेश की सुरक्षा प्रदान करता है. इसमें निवेशक एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1,50,000 रुपये निवेश कर सकते हैं. (फाइल फोटो)
सुकन्या समृद्धि योजना सिर्फ किसी लड़की (गर्ल चाइल्ड) के नाम से खोला जा सकता है; जबकि पीपीएफ अकाउंट किसी के भी नाम से खोला जा सकता है. इन दोनों में एक निश्चित अवधि में गारंटीड टैक्स फ्री रिटर्न देते हैं. फिलहाल सुकन्या में 7.6 फीसदी सालाना और पीपीएफ जमा पर 7.1 फीसदी का ब्याज मिल रहा है. यानी सुकन्या में ब्याज दर आधा फीसदी ज्यादा है. ध्यान रहे कि सरकार इन सभी के ब्याज दरों की हर तिमाही समीक्षा करती है. सुकन्या योजना 21 साल में पूरी हो जाती है और यह अनिवार्य रूप से बंद करनी होती है. हालांकि निवेश 15 साल तक ही होता है. दूसरी तरफ पीपीएफ में भी निवेश 15 साल तक होता है, लेकिन आप जब तक चाहें पैसा जमा करते रह सकते हैं, क्योंकि इसे पांच-पांच साल के ब्लॉक में आगे बढ़ाया जा सकता है. (फाइल फोटो)
अगर आप बिटिया की शादी या हायर एजुकेशन के लिए पैसे जमा करने चाहते हैं तो ये दोनों योजनाएं अच्छी हैं. लेकिन आप बिटिया के लिए आगे भी पैसा जमा करना चाहते हैं तो पीपीएफ योजना बेहतर है. किसी पीपीएफ योजना में एक साल में न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं, जबकि सुकन्या में न्यूनतम राशि 250 और अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते है. दोनों में यह जमा आयकर की धारा 80 सी के तहत पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है. पीपीएफ जमा पर आप लोन भी हासिल कर सकते हैं, लेकिन सुकन्या में ऐसी सुविधा नहीं है.
कुछ जानकार कहते हैं कि सबसे अच्छा विकल्प यह हो सकता है कि बिटिया के लिए एक सुकन्या और पीपीएफ योजना दोनों खोलकर उनमें पैसे जमा करें. जब तक सुकन्या योजना में अच्छा ब्याज मिलता है उसमें ज्यादा रकम जमा करें और कुछ रकम पीपीएफ अकाउंट में जमा करें; लेकिन बिटिया की उम्र 21 साल होने पर जब सुकन्या योजना बंद हो जाती है तो उसी अनुपात में बचत पीपीएफ योजना में करें. अगर आपकी बिटिया कमाने लगती है तो वह खुद भी 21 साल की उम्र के बाद इस पीपीएफ योजना में पैसे जमा कर अच्छा फंड तैयार कर सकती है. (फाइल फोटो: Getty Images)
निवेश मामलों के एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं, 'पीपीएफ के मुकाबले सुकन्या समृद्धि योजना में पैसा लगाना बेहतर है. एक तो इसमें ब्याज ज्यादा है और दूसरे इसमें आपको 15 साल बाद न्यूनतम राशि जमा करने की जरूरत नहीं होती और आपका अकाउंट चलता रहता है, उस पर ब्याज मिलता रहता है. पीपीएफ में 15 साल बाद जारी रखने के लिए आपको एक्स्टेंड करवाना होगा और हर साल न्यूनतम राशि जमा करनी होगी. इसके अलावा सुकन्या सुकन्या समृद्धि योजना में कोई व्यक्ति अपनी दो बेटियों के नाम से एक साल में 3 लाख रुपये तक जमा कर सकता है, जबकि पीपीएफ में कोई व्यक्ति अपने परिवार को मिलाकर भी किसी हाल में 1.5 लाख रुपये से ज्यादा जमा नहीं कर सकता.' यहां यह बात गौर करने की है कि आप सुकन्या में 3 लाख रुपये तक जमा तो कर सकते हैं, लेकिन आपको 80सी के तहत टैक्स छूट सिर्फ 1.5 लाख रुपये की राशि पर ही मिलेगी. (फाइल फोटो: Getty Images)
पीपीएफ को आप पांच साल के बाद कभी भी समय पूर्व भी बंद कर सकते हैं, जबकि सुकन्या को 21 साल से पहले बिटिया की उम्र 18 साल होने पर या उसके हाईस्कूल पास हो जाने पर ही बंद किया जा सकता है. इसी समय के बाद आप चाहें तो मैच्योरिट राशि का 50 फीसदी हिस्सा निकाल भी सकते हैं. सुकन्या की परिपक्वता अवधि 21 साल की होती है, जबकि पीपीएफ की 15 साल. सुकन्या योजना अभिभावक द्वारा लड़की के नाम से खोला जाता है. यह लड़की की उम्र अधिकतम 10 साल होने तक खोली जा सकती है. पीपीएफ 18 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति खोल सकता है, अपने नाम से या अपने बच्चे के नाम से. (फाइल फोटो: Getty Images)
इन दोनों में टैक्स की बचत Exempt-Exempt-Exempt आधार पर होती है. यानी खाते में जमा राशि, हासिल ब्याज तो टैक्स फ्री होता ही है, अंत में मिलने वाली मैच्योरिटी राशि भी टैक्स फ्री होती है. यह कर बचत आयकर की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की सालाना सीमा में ही होती है. पीपीएफ में किसी को नॉमिनी बनाया जा सकता है, लेकिन सुकन्या में नहीं. (फाइल फोटो)
कितना होता है मैच्योरिटी का फर्क?
ब्याज दर में अंतर होने से दोनों योजनाओं में परिपक्वता पर मिलने वाले राशि में फर्क हो जाता है. इसे एक उदाहरण से समझते हैं. आकाश और विमल दोनों के बेटियां हैं. आकाश ने बेटी के जन्म के पहले साल में सुकन्या में खाता खुलवा दिया, जबकि विमल ने एक पीपीएफ अकाउंट खुलवाया. दोनों इनमें हर साल 12 हजार रुपये जमा करते हैं. सुकन्या में ब्याज 7.6 फीसदी मिलता है, जबकि पीपीएफ 7.1 फीसदी. यह मान लें कि ब्याज पूरे 21 साल एक समान है (हालांकि ऐसा होता नहीं हर तिमाही ब्याज दर की समीक्षा होती है) तो 21 साल बाद आकाश की बिटिया के नाम सुकन्या में जमा कुल राशि की मैच्योरिटी राशि हो जाएगी 5.27 लाख रुपये रुपये, जबकि विमल की बिटिया के नाम से खुले पीपीएफ में राशि होगी 5.83 लाख रुपये. (फाइल फोटो)
लेकिन यहां ध्यान रखने की बात यह है कि आकाश ने सिर्फ 1,80,000 की राशि जमा की है और 15 साल बाद उसे किसी तरह के निवेश की जरूरत नहीं थी, फिर भी ब्याज मिलता रहा. दूसरी तरफ विमल को 21 साल में कुल 2,52,000 रुपये का निवेश करना पड़ा. तो हम कह सकते हैं कि लॉन्ग टर्म में बिटिया के भविष्य के लिए निवेश करने के लिहाज से सुकन्या समृद्धि एक बेहतर योजना है. (फाइल फोटो: PTI)