वर्तमान में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, लेकिन क्या आप दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री के बारे में जानते हैं जो इत्तेफाक से बने थे. वहीं उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. बता दें, दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव शुरू होने वाले हैं. 70 सदस्यीय
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 8 फरवरी को मतदान होंगे और मतगणना 11 फरवरी
को होगी.
(पुरानी दिल्ली की तस्वीर- फोटो- getty) जब 1952 में अंतरिम विधानसभा के चुनाव हुए थे, तो चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव को दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था. उनका कार्यकाल 17 मार्च 1952 से 12 फरवरी 1955 तक था. उनका कार्यकाल 2 साल, 332 दिन तक था. आपको बता दें, दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ था.
फोटो- गर्वमेंट ऑफ इंडिया, चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव कांग्रेस पार्टी के नेता थे और दिल्ली में काफी लोकप्रिय थे. उनका जन्म 16 जून 1918 में उत्तर प्रदेश के जाफ़र कलान में हुआ था. उनका निधन 1993 में हुआ था. उस समय उनकी उम्र 75 साल की थी. बता दें, वह शेर–ए-दिल्ली' और 'मुगले आज़म' के नाम से मशहूर थे.
(फोटो- दिल्ली का एक हिस्सा- फोटो- getty)
जब ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे उस समय उनकी उम्र 33 साल की थी, वह सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे. बता दें, 1955 में चौधरी ब्रह्म प्रकाश को हटाकर गुरुमुख निहाल सिंह (G.N Singh) को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया गया था. उनका कार्यकाल 12 फरवरी 1955 से 1 नवंबर 1956 तक रहा. वह एक साल के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे.
आपको बता दें, 1993 में दिल्ली में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे. जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुत हासिल की थी. इस जीत के साथ ही मदन लाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे.
बता दें, दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों में बीजेपी 47.82 फीसदी वोट के साथ 49 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.
(फोटो- गुरूमुख निहाल सिंह, getty)
जब चौधरी ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे उस समय दिल्ली के मुखिया चीफ कमिश्नर हुआ करते थे. जो मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सुझावों पर फैसले लेते थे. तत्कालीन चीफ कमिश्नर आनंद डी पंडित पर तत्कालीन गृह मंत्री रहे गोविंद वल्लभ पंत का विश्वास हासिल था.
(फोटो-संविधान)
उस समय भी चीफ कमिश्नर आनंद डी पंडित के साथ चौधरी ब्रह्म प्रकाश के रिश्ते ठीक नहीं थे. दोनों के बीच आपस में लंबे समय तक तनातनी चलती रही. दोनों की कई फैसलों को लेकर सहमति नहीं बन रही थी. जिसके बाद चौधरी ब्रह्म को मुख्यमंत्री पद से 1955 में इस्तीफा देना पड़ा.
(फोटो- गोविंद वल्लभ पंत, getty)
चौधरी ब्रह्म प्रकाश को दिल्ली का "Accidental Chief Minister" कहना गलत नहीं होगा. क्योंकि ऐसा कहा जाताा है जब वह मुख्यमंत्री बनने जा रहे थे तो किस्मत ने उनका काफी साथ दिया, क्योंकि वह मुख्यमंत्री बनने की रेस में कहीं थे ही नहीं.
(फोटो- बैलेट पेपर पर चुनाव)
चौधरी ब्रह्म प्रकाश किस्मत के बहुत धनी थे, क्योंकि पहली विधानसभा चुनाव में दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर लाला देशबंधु गुप्ता को शपथ लेने वाले थे. उन्हें ही ये पद मिलने वाला था. वह दिल्ली कांग्रेस के तपे हुए नेता थे.
(चुनाव के दौरान ली गई पुरानी तस्वीर- getty)
वहीं किस्मत को कुछ और मंजूर था. चुनाव से कुछ समय पहले ही देशबंधु गुप्ता की प्लेन क्रैश में मृत्यु हो गई थी. इसके बाद चौधरी ब्रह्म प्रकाश को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिल जाता है. इस पद पर वह तीन साल कार्यरत थे.
(चुनाव के दौरान ली गई पुरानी तस्वीर- getty) चौधरी ब्रह्म प्रकाश की लोकप्रियता से इस बात से अंदाजा लगया जा सकता है. जब सात में से 6 सीटें जनसंघ के पास चली गई थी, तब कांग्रेस को एक ही सीट मिली थी और वो सीट बाहरी दिल्ली से थी, जिस पर चौधरी ब्रह्म प्रकाश जीते थे. इमरजेंसी के बाद लोकसभा में जब छठे लोकसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस के बंटवारे से ब्रह्म प्रकाश ने जनता पार्टी का दामन थाम लिया.
(चुनाव के दौरान ली गई पुरानी तस्वीर- getty) दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री होने के अलावा, उन्होंने दो बार लोकसभा चुनाव भी लड़ा और जीत हासिल की, उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में खाद्य कृषि, सिंचाई और सहकारी समितियों के लिए कार्य किए. राष्ट्र के प्रति उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उनके सम्मान में 11 अगस्त 2001 स्मारक डाक टिकट जारी किया गया था.
(चुनाव के दौरान ली गई पुरानी तस्वीर- getty)