दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है. कई इलाकों में सुबह से ही लंबी-लंबी कतारें लगी हुईं हैं. लेकिन इसी बीच जिस जगह पर सबकी नजरें टिकी हुईं हैं वो है शाहीन बाग.
दरअसल, शाहीन बाग में पिछले करीब दो महीने से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध हो रहा है. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान शाहीन बाग का मुद्दा छाया रहा.
दिल्ली की राजनीति पर नजर रखने वालों एक्पर्ट्स का मानना है कि दिल्ली का यह चुनाव शाहीन बाग पर आकर रुक सा गया है. और इसलिए वह मुस्लिम वोटर्स पर फोकस हो गया है. लेकिन सवाल यह है कि मुस्लिम वोटर किस तरफ जाएगा.
पूरे प्रचार के दौरान बीजेपी ने घूम-घूमकर कहा कि दिल्ली में शांति और शाहीन बाग के खात्मे के लिए भाजपा को वोट दें. अमित शाह तो यहां तक कह गए कि ऐसे बटन दबाएं कि उसका करंट शाहीन बाग तक जाए.
अब देखना यह दिलचस्प होगा कि मुस्लिम वोटर्स इस बार कांग्रेस की तरफ जाएंगे या आम आदमी पार्टी की तरफ. क्योंकि 2013 के चुनाव में मुस्लिम वोटरों का रुझान कांग्रेस की तरफ रहा लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में वह AAP की तरफ चला गया.
बीजेपी को पहले से ही पता था कि मुस्लिम वोटर्स तो उसकी तरफ आ नहीं पाएंगे. शाहीन बाग को लेकर इसीलिए माना जा रहा है कि वोटर्स का ध्रुवीकरण हो गया है, और ऐसा हुआ तो चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं.