Advertisement

मनोरंजन

बुरे दौर में पिता की इन कविताओं ने दिया BIG B को हौसला

aajtak.in
  • 27 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST
  • 1/6

मशहूर कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को यूपी के इलाहाबाद में हुआ था. वह बेशक आज हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन उनकी कविताएं लोगों के जहन में अमर हो गई हैं. उनके बेटे और बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन हमेशा पिता की कविताओं को याद करते दिखते हैं. बिग बी जब भी कमजोर पड़ते हैं या परेशानी में होते हैं. तब वह पिता की कविताओं का सहारा लेते हैं. बाबूजी की कविताएं उनकी मुश्किलों की दवा बनकर हौसला देती हैं. वह रोजाना सुबह उठकर अपने पिता की रचनाएं पढ़ना पसंद करते हैं. चलिए जानते हैं हरिवंश राय बच्चन की वे कविताएं जो बिग बी की पसंदीदा हैं...

  • 2/6

हरिवंश राय की लिखी गई कविताओं में से मधुशाला, मधुकलश, अग्निपथ, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौसठ खूंटे, दो चट्टानें बिग बी के दिल के बेहद करीब हैं. एक बार उन्होंने कहा था कि वे जब भी बाबूजी की ये कविताएं पढ़ते हैं उनमें ऊर्जा का नया संचार होता है.

  • 3/6

हरिवंश राय बच्चन की इन पंक्तियों ने बिग बी को उस वक्त हौसला दिया था जब वे बुरे दौर से गुजर रहे थे.

तू न थकेगा कभी, तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ!

 

Advertisement
  • 4/6

यह महान दृश्य है,

चल रहा मनुष्य है, अश्रु, स्वेद, रक्त से,

लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ!

  • 5/6

पिता की बेस्ट सेलर रही मधुशाला की ये लाइनें भी बिग बी की पसंदीदा हैं.

मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,

एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,

दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,

बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!

  • 6/6

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,

प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊंगा प्याला,

पहले भोग लगा लूं तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,

सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला!

 

Advertisement
Advertisement

लेटेस्ट फोटो

Advertisement