दिग्गज डायरेक्टर रामानंद सागर के लिए ऐतिहासिक शो रामायण बनाना कभी भी आसान नहीं था. इस शो को लोगों के सामने लाने के लिए उन्हें कई पापड़ बेलने पड़े थे. शुरुआत में रामायण के लिए फंड्स देने से सभी ने इंकार कर दिया था. लेकिन तमाम अड़चनों के बावजूद ये शो बना और इसने इतिहास रच दिया.
रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने अपने पिता की बायोग्राफी लिखी हुई है. जिसमें उन्होंने रामानंद सागर की जर्नी के अनसुने पहलुओं के बारे में बताया. इसमें प्रेम सागर ने खुलासा किया था कि दूरदर्शन को रामायण के पायलट एपिसोड पसंद नहीं आए थे.
रामायण के पायलट एपिसोड 25 जनवरी 1987 को टेलीकास्ट किए गए थे. इन पायलट एपिसोड को सिर्फ 2 हफ्तों में तैयार किया गया था. दूरदर्शन के कई अंदरुनी लोगों को ये पायलट एपिसोड खराब लगे थे.
दूरदर्शन के ऑफिस से रामानंद सागर को फोन आया था. कहा गया कि क्या वे दो हफ्तों के अंदर रामायण के पायलट एपिसोड प्रेजेंट कर सकते हैं. रामानंद सागर ने जवाब में हां कहा. मगर प्रेम सागर को ऐसा करना असंभव लगा.
प्रेम सागर ने रामानंद से कहा कि ऐसा करना बिल्कुल भी संभव नहीं है. प्रेम सागर के मुताबिक, हमने 4 एपिसोड को शूट किया. लेकिन उन्हें पायलट में बदलना असंभव सा था. उसमें काफी काम की जरूरत थी और हमारे पास कम समय था. चारों एपिसोड्स को काटा गया फिर सभी को मिलाकर सिंगल एपिसोड बनाया गया था. 25 जनवरी को पायलट एपिसोड टेलीकास्ट हुआ.
ऑनएयर होने के बाद इस शो ने रिकॉर्ड ब्रेकिंग टीआरपी लानी शुरू कर दी थी. रामायण देश ही नहीं विदेश में भी धूम मचा रही थी. जबरदस्त टीआरपी मिलने की वजह से चैनल वालों के पास चुप बैठने के सिवा कोई ऑप्शन नहीं था.
प्रेम सागर ने ये भी बताया कि रामायण को बनाने की परमिशन के लिए उनके पिता ने दूरदर्शन चैनल (मंडी हाउस) के काफी चक्कर लगाए थे. पायलट एपिसोड के बारे में डीडी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने हमें बताया था कि दूरदर्शन के बड़े अधिकारियों ने क्या महसूस किया.
उन्होंने कहा था कि रामानंद सागर को नहीं पता डायलॉग्स कैसे लिखने हैं. उन्हें अपनी भाषा को और बेहतर की जरूरत है.
ये बात मेरे पिता रामानंद सागर जैसे शख्स के लिए सुनना उनके अपमान के बराबर था. वो शख्स जिसने कई किताबें और फिल्म स्क्रिप्ट्स लिखी हैं.